वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 16 सितम्बर।
हिंदी से है ज्ञान मिला, हिंदी से ही स्वाभिमान मिला।
हिंदी से ही मान मिला, हिंदी से सम्मान मिला।
हिंदी ने ही भ्रम को तोड़ा, मानवता से नाता जोड़ा।
हिंदी ने ही बोध कराया, कण-कण में है प्रभू समाया।
हिंदी की है अनुपम महिमा, हिंदी की है अविनाशी गरिमा।
हिंदी ने ही कवि बनाया, मानव की अद्भुत कला को दर्शाया।
हिंदी से सब सीख है पाते, असहाय प्राणी को नही सताते।
हिंदी है भावो को दर्शाती, हिंदी सबको सहज बनाती।
हिंदी की है उत्तम रीत, बैर छोड़ सबसे करो तुम प्रीत।
हिंदी सद्भाव को सिखलाती है, हिंदी हिय के शूल हटाती है।
देश स्वतंत्र कराने में, हिंदी ने योगदान निभाया।
देश के वीर के अंदर, देशभक्ति का चिराग जलाया।
हिंदी ने ही त्याग सिखाया, हिंदी ने वैराग्य जगाया।
हिंदी से दुलार मिला, हिंदी से ही प्यार मिला।
हिंदी समझ में आयी जब, मन में खुशहाली छायी तब।
हिंदी की है धारा तेज, हिंदी करती संशय को निस्तेज।
हिंदी को अपनाये निराला, पिये जब वो हिंदी का प्याला।
हिंदी से ही क्रांति मिली, हिंदी से ढही शांति मिली।
हिंदी से ही दया है आयी, हिंदी ने करुणा सिखलाया।
हिंदी से ही प्रेम मिला, हिंदी से कविताओ का पुष्प खिला।