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बेहद अमीर व्यक्तियों पर कर लगाने से हर साल $250 बिलियन जुटाए जा सकते हैं: जी20

वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। ब्राजील की जी20 अध्यक्षता द्वारा कमीशन की गई एक रिपोर्ट में पाया गया है कि बेहद अमीर व्यक्तियों पर कर लगाने से घरेलू और वैश्विक जरूरतों के लिए हर साल $250 बिलियन जुटाए जा सकते हैं।
अर्थशास्त्री गैब्रियल जुकमन ने अगले महीने होने वाले जी20 वित्त मंत्रियों के शिखर सम्मेलन से पहले ष्बेहद अमीर पर एक वैश्विक न्यूनतम कर कैसे काम कर सकता है और इससे कितनी राशि जुटाई जा सकती है, इस पर प्रकाश डाला है। यह उनकी हाल की ग्लोबल टैक्स इवेजन रिपोर्ट और ले मोंडे में उनके नवीनतम लेख पर आधारित है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि केवल 3,000 अमेरिकी डॉलर के अरबपतियों पर कर लगाने से एक साल में महत्वपूर्ण धनराशि जुटाई जा सकती है। यह उम्मीद की जा रही है कि इस साल ब्व्च्29 वार्ता में जलवायु वित्त पर एक महत्वपूर्ण समझौता होगा, और ऐसे फंड कर प्रणालियों को अधिक प्रगतिशील बनाने में एक शक्तिशाली लाभ प्रदान करेंगे, जिससे असमानता की चिंताओं का समाधान होगा जो हाल ही में और आगामी चुनावों में मतदाताओं के मन में प्रमुख रही हैं। ब्राजील, फ्रांस, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम और कोलंबिया ने पहले ही ऐसे उपाय का समर्थन किया है। इस महीने के जी7 शिखर सम्मेलन ने ब्राजील के जी20 कर एजेंडे के साथ रचनात्मक रूप से काम करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
मुख्य निष्कर्ष:
– बेहद अमीर पर कम कर दरें सुपर-धनी व्यक्तियों पर अन्य सामाजिक समूहों की तुलना में कम कर दरें लागू होती हैं।
– कर प्रतिगामितारू कर प्रतिगामिता सरकारों को महत्वपूर्ण कर राजस्व से वंचित करती है, सामाजिक एकजुटता को कमजोर करती है, और धन के संकेंद्रण में वृद्धि करती है।
– वैश्विक न्यूनतम कर का महत्वरू इस समस्या को हल करने का सबसे प्रभावी तरीका एक वैश्विक समन्वित न्यूनतम कर है।
– प्रस्ताव की प्रभावशीलता: यह प्रस्ताव कर प्रतिगामिता को संबोधित करने का सबसे कुशल तरीका है। रिपोर्ट ने व्यक्तिगत आय कर और संपत्ति कर में वृद्धि के साथ संपत्ति कर प्रस्ताव की तुलना की। सभी विकल्प शीर्ष स्तर पर प्रतिगामिता को संबोधित करने में विफल रहते हैं। ये पूरक विकल्प के रूप में काम कर सकते हैं।
इस रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि बेहद अमीर व्यक्तियों पर कर लगाने से न केवल महत्वपूर्ण राजस्व जुटाया जा सकता है, बल्कि यह असमानता को भी कम कर सकता है और जलवायु वित्त जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में योगदान कर सकता है।

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