वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार
गोरखपुर। मछुआ समुदाय अब सिर्फ गिनती में नहीं, नीति निर्धारण में अपनी भूमिका दर्ज करेगा। निषाद पार्टी की स्थापना कोई संयोग नहीं, बल्कि सदियों से वंचित मछुआ समाज के संघर्ष की परिणति है। एनडीए की सरकार केंद्र व राज्य दोनों में समाज को सिर्फ गरीब नहीं, सम्मानित नागरिक के रूप में देख रही है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद बाबा गम्भीरनाथ ऑडिटोरियम में आयोजित मत्स्यपालक मेला में बोल रहे थे।
गोरखपुर। मछुआ समुदाय अब सिर्फ गिनती में नहीं, नीति निर्धारण में अपनी भूमिका दर्ज करेगा। निषाद पार्टी की स्थापना कोई संयोग नहीं, बल्कि सदियों से वंचित मछुआ समाज के संघर्ष की परिणति है। एनडीए की सरकार केंद्र व राज्य दोनों में समाज को सिर्फ गरीब नहीं, सम्मानित नागरिक के रूप में देख रही है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद बाबा गम्भीरनाथ ऑडिटोरियम में आयोजित मत्स्यपालक मेला में बोल रहे थे।

डॉ. निषाद ने कहा, “जातीय जनगणना सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं, यह हक और प्रतिनिधित्व की बात है। जब तक मछुआ समाज की वास्तविक जनसंख्या की गणना नहीं होगी, तब तक हमें योजनाओं में हमारा हक नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि मछुआ समाज की सभी उपजातियों को अनुसूचित जाति की सूची में परिभाषित किया जाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि उन्हें शिक्षा, नौकरी और विकास के अवसर मिल सकें। 1961 की जनगणना मैन्युअल (उत्तर प्रदेश) और हालिया उत्तराखंड में शिल्पकार जाति नहीं जातियों का समूह है के शासनादेश के अनुसार ये जातियाँ अनुसूचित जाति के योग्य हैं। उत्तर प्रदेश में भी ‘जातियों का समूह’ मानते हुए सभी 17 मछुआ उपजातियों को SC प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए।
प्रमुख माँगें :
मझवार, तुरैहा, तारमाली, पासी सहित 17 उपजातियों को SC प्रमाण पत्र तत्काल जारी हो।
ओबीसी सूची से नाम हटाकर अनुसूचित जाति में सम्मिलित है गिनती कराने का आदेश जारी किया जाए।
केंद्रीय RGIs द्वारा स्पष्ट स्पष्टीकरण के बाद भी रोक लगाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही हो।
भाजपा के “मछुआ विजन डॉक्युमेंट” को नीति के रूप में लागू किया जाए।
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