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बच्चों के लिए सुरक्षित व सुखमय विश्व व्यवस्था बनाना ही हमारा मकसद : अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बोले न्यायाधीश

वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी) अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 6 नवंबर। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 24वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व प्रख्यात हस्तियों ने एक स्वर से घोषणा की है कि बच्चों के लिए सुरक्षित व सुखमय विश्व व्यवस्था बनाना ही हमारा मकसद है और इसी उद्देश्य हेतु हम यहाँ एकत्रित हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि सभी के सहयोग व प्रयास से एकता, शान्ति व सौहार्द का वातावरण बनेगा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए हैती के पूर्व प्रधानमंत्री जीन-हेनरी सेन्ट ने कहा कि मानवजाति भयभीत एवं सशंकित हैं क्योंकि आतंकवाद, युद्ध एवं परमाणु युद्ध के खतरे हमारे सामने हैं। ऐसे में सभी राष्ट्राध्यक्षों का कर्तव्य है कि वे अपना पूरा प्रयास हालात सुधारने में करें और भविष्य में इन्हें और बेहतर बनाने का प्रयास करें। मैं डॉ. जगदीश गाँधी के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ, जो विश्व के बच्चों के सुरक्षित व सुखमय भविष्य के लिए विगत कई वर्षों से इस सम्मेलन को आयोजित कर रहे हैं। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में 61 देशों के 250 से अधिक मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश समेत विभिन्न देशों के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री व अन्य प्रख्यात हस्तियाँ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
सम्मेलन के चैथे दिन प्रातःकालीन सत्र के प्लेनरी सेशन में अल्बानिया के हाई ज्यूडिशियल काउन्सिल की अध्यक्ष न्यायमूर्ति नौरेदा एल लागामी, मलावी सुप्रीम कोर्ट के जज, न्यायमूर्ति रोलैंड सेक्स्टस एमबीवंडुला, पेरू के सुपीरियर कोर्ट की प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति सुश्री मारिया डेलफिना विडाल ला रोजा सांचेज ने बच्चों व आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अपने विचार रखे।
‘इन्फोर्सेबल वर्ल्ड लॉ’ थीम पर आधारित पैरालल सेशन में बोलते हुए निकारागुआ से पधारे न्यायमूर्ति ऑरलैंडो ग्युरेरो मेयोर्गा ने कहा कि जो देश संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा नहीं है उनके हित भी महत्वपूर्ण हैं। ज्यादा से ज्यादा भागीदारी संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रभावी बनाएगी। सूरीनाम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आनंद कोमर चरण ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में बदलाव करके सभी देशों की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र में देशों की समानता से ही विश्व की समस्याओं का समाधान सम्भव है। इसी प्रकार, ‘रिफार्म ऑफ यू.एन. चार्टर’, ‘ह्यूमन डेवलपमेन्टरू एजूकेशन, हेल्थ, एम्प्लॉयमेन्ट, इनइक्वालिटी’, ‘एक्शन फॉर क्लाइमेट चेन्ज’, ‘डिसआर्मामेन्ट एण्ड ए यू.एन. पीस फोर्स’, ‘रोल ऑफ एन.जी.ओ., सिविलि सोसाइटी, स्मार्ट कोलीशन इन ग्लोबल गवर्नेन्स’ थीम के अन्तर्गत विभिन्न विषयों पर जमकर विचार-विमर्श हुआ।
प्रेस कान्फ्रेन्स में डा. जगदीश गाँधी ने मुख्य न्यायाधीशों के विचारों को रखते हुए कहा कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि मानवता की आवाज को बुलन्द करने की जरूरत है।

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