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राजधानी में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव के साथ पालि साहित्य सम्मेलन होगा

– पालि भाषा भारत की प्राचीन भाषा है।
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। संस्कृति विभाग उ0प्र0 के अधीन अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ द्वारा 09 से 11 नवम्बर, 2024 तक तीन दिवसीय इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव तथा पालि साहित्य सम्मेलन-2024 का आयोजन बुद्ध बिहार शांति उपवन आलमबाग, लखनऊ में किया जा रहा है। इस सम्मेलन की मुख्य थीम ’’विश्व शांति एवं सद्भाव बढ़ाने में पालि साहित्य का योगदान’’ रखा गया है। इस कॉन्क्लेव में देशभर से 800 से अधिक बौद्ध भिक्षु, आचार्य, विद्वान तथा बौद्ध उपासक भाग ले रहे हैं। इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन कल पूर्वाह्न 11 बजे तथा समापन 11 नवम्बर को अपराह्न 02 बजे किया जायेगा। यह जानकारी प्रदेश के प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने दी।

pali bhasha

श्री मेश्राम ने बताया कि इस सम्मेलन में बौद्ध पर्यटन, पालि भाषा, साहित्य, पुरातत्व, बौद्ध संस्कृति, प्राचीन इतिहास तथा भारतीय ज्ञान परम्परा पर विस्तार से मंथन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा 03 अक्टूबर, 2024 को अन्य भाषाओं के साथ पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए उन्होनें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया।
श्री मेश्राम ने बताया कि उ0प्र0 में पर्यटन तथा संस्कृति के साथ बौद्ध धर्म की भाषा पालि को बढ़ावा दिये जाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। पालि भाषा भारत की प्राचीन भाषा है। पूर्व में आम जनता की बोलचाल की सर्वमान्य भाषा थी। श्रीलंका, म्यांमार, कम्बोडिया, थाईलैण्ड, बंग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, नेपाल, नीदरलैण्ड आदि देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यूरोपीय देशों में भी इसके प्रति लगातार रूचि बढ़ रही है। इस प्रकार पालि भाषा एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व की भाषा बन चुकी है। पालि भाषा में नैतिक शिक्षा, शील-सदाचार, उच्च अध्यात्मिक महत्व को प्राथमिकता दी गयी है।
श्री मेश्राम ने बताया कि त्रिपिटक साहित्य में समाज, जातीय स्वरूप, अर्थव्यवस्था, सांस्कृतिक जीवन, न्याय व्यवस्था, शिक्षा आदि के बारे में प्रमाणिक जानकारी मिलती है। इस सम्मेलन में पैनल डिस्कशन के अलावा शोध पत्र का प्रस्तुतीकरण किया जायेगा तथा तीन भिक्षुओं को सम्मानित भी किया जायेगा। इस अवसर पर पालि पुस्तक मेला प्रदर्शनी, धम्मपद संगायन, सुलेखन, जागरूकता संबंधी कार्य तथा पुस्तक का विमोचन भी किया जायेगा।

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