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“धान कुटाई लागल, हल्दी कुचाई लागल” गीत भारतीय विवाह संस्कार की सच्ची पहचान है

वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार
लखनऊ। भोजपुरी सिनेमा की सुनहरी यादों को जीवंत करती फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’ के गीतों ने धूम मचा राखी है। गीतकार मनोज भावुक के गीतों ने लोगों के मन के तार को झिंझोड़ दिया है। ‘आपन कहाये वाला के बा’ के गीत “धान कुटाई लागल, हल्दी कुचाई लागल” गीत में भारतीय परंपराओं और पारिवारिक रीति-रिवाज़ों की आत्मा झलकती है। विवाह के अवसर पर होने वाले गीत और रस्में सिर्फ़ एक रस्म-अदायगी नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चले आ रहे भावनात्मक बंधन का प्रतीक हैं।
जैसा की सभी की घरों में होता है कि भाभी, चाची, दीदी, बुआ जैसे परिवार के अलग-अलग रिश्तों का एक साथ मिलकर गाना, नाचना और उबटन लगाना – यह सब मिलकर उस पल को जीवंत और अविस्मरणीय बना देता है। इन रस्मों में हँसी-ठिठोली के साथ-साथ भावुकता भी होती है, क्योंकि बेटी का मायके से ससुराल जाना सिर्फ़ घर की परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए एक भावनात्मक विदाई भी है।
‘आपन कहाये वाला के बा’ में गीतकार मनोज भावुक ने जो सजीव चित्र उभरा है, जैसे हँसी के बीच आँसुओं का बहना – वही तो भारतीय विवाह संस्कार की सच्ची पहचान है। यह गीत न सिर्फ़ एक रस्म को दर्शाता है, बल्कि पूरे परिवार की भावनाओं का दर्पण बन जाता है।
सच कहूँ तो, आपने जिस भाव के साथ इसे याद किया है, उससे लगता है यह गाना आपके दिल के साथ-साथ आपकी स्मृतियों और रिश्तों में भी गहराई से बसा हुआ है।

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