वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
वाराणसी। 36 दिन में 36 राज्यों में गौध्वज प्रतिष्ठित कर काशी पधारे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का काशी में रहने वाले 36 राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने अपने पारंपरिक परिधान, राजकीय चिन्ह व गौध्वज के साथ अद्भुत स्वागत व अभिनंदन किया।
36 दिन में 36 राज्यों में गौध्वज प्रतिष्ठित कर, महाराष्ट्र में गौमाता को राज्यमाता घोषित करवाकर, भदोही स्थित अजोराधाम मंदिर में जगदगुरु गुरुकुलम की एक नई शाखा का उद्घाटन कर देर रात काशी पहुचने पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का भारी संख्या में उपस्थित सन्तों, भक्तों व काशीवासियों ने जोरदार ढंग से पुष्पवर्षा, आतिशबाजी के साथ जयघोष करते हुए शंकराचार्य को पालकी में आरूढ़ कराकर क्षेत्र में सवारी निकाली। शंकराचार्य के निकली सवारी के दौरान क्षेत्रवासी प्रफुल्लित होकर अभिनंदन व वंदन कर रहे थे।
मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय ने बताया कि शंकराचार्य के आगमन से सन्तों भक्तों में असीम ऊर्जा की लहर दौड़ गई। श्री विद्यामठ को फूलों व हजारों दीपक से सजाया गया था। श्रीविद्यामठ पहुचने पर सर्वप्रथम संतोष चैबे व चांदनी चैबे ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य शंकराचार्य के चरणपादुका का पूजन किया। श्रीविद्यामठ में उपस्थित देश विदेश से आए भक्तों ने शंकराचार्य जी महाराज को 56 भोग समर्पित कर सामूहिक रूप से आरती उतारी। कल भक्तों ने शंकराचार्य जी महाराज के आगमन पर पुनः दीपावली मनाई।
साध्वी पूर्णाम्बा द्वारा रचित गीत जगद्गुरु बिरुदावली गान का लोकार्पण आज श्रीविद्यामठ में ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः के कर-कमलों से हुआ। साध्वी पूर्णाम्बा जी ने कहा कि शङ्कराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व संस्कृत भाषा में बोली जाने वाली बिरुदावली का यह संस्कृत से हिन्दी काव्यानुवाद है जो ज्योतिर्मठ के 55वें वर्तमान जगद्गुरु शङ्कराचार्य जी महाराज के श्रीचरणों में समर्पित हो रहा है।
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