वेबवार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
नई दिल्ली। समग्र कल्याण के लिए अच्छा पोषण बेहद जरुरी है और राष्ट्र के स्वास्थ्य और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। पर्याप्त पोषण मिलने से, खासकर गर्भावस्था के दौरान, जन्म लेने वाले शिशु स्वस्थ होते हैं और उनकी जीवनभर बेहतर स्वास्थ्य के साथ जीवन का आनंद लेने की संभावना ज्यादा होती है। बचपन में उचित पोषण प्राप्त होने का असर बच्चों की बेहतर आईक्यू, उत्पादकता में वृद्धि और वयस्क होने पर बेहतर धन संग्रह पर भी पड़ता है। गर्भाधान के पहले 1,000 दिनों के दौरान पोषण को प्राथमिकता देना, किसी भी पीढ़ी में कुपोषण के चक्र को तोड़ने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पिछले साल कोपेनहेगन सहमति की एक रिपोर्ट के अनुसार, सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पोषण में निवेश करना सबसे प्रभावी रणनीति है।
7वां राष्ट्रीय पोषण माह 1 सितंबर से 30 सितंबर, 2024 तक मनाया गया। शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा भी कुपोषण के दीर्घकालिक प्रभाव देखे जाते है, जो खासकर सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को भी प्रभावित करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में पीएम-पोषण योजना, एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस), लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) जैसे विभिन्न मंत्रालयों के सहयोगात्मक प्रयास इसी समझ को दर्शाते हैं।
पोषण में आत्मनिर्भररू आंगनवाड़ी और पोषण वाटिका:
महिला और बाल विकास मंत्रालय (एमओडब्ल्यूसीडी) के नेतृत्व में सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 जैसे कार्यक्रम, पोषण परिणामों में सुधार लाने और बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और नर्सिंग माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करने के मकसद से संस्थागत समर्थन का एक अनूठा मॉडल पेश करते हैं। इन सेवाओं में स्वस्थ भोजन, प्रसवपूर्व और प्रसव के बाद की देखभाल, स्तनपान की प्रक्रिया और पूरक आहार के महत्व पर मार्गदर्शन देना शामिल हैं। अपने नियमित स्वास्थ्य जांच अभ्यासों के जरिए, यह कुपोषण और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों के लिहाज से बच्चों का मूल्यांकन करता है और उचित सहायता प्रदान करता है।
आंगनवाड़ी केंद्रों को बचपन के समय में ही प्रारंभिक विकास को बढ़ावा देते हुए मातृ एवं बाल पोषण प्रयासों में सहायता करके, देखभाल की निरंतरता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। कुपोषण से निपटने के लिए नीति निर्माण में डेटा-संचालित समाधान सुनिश्चित करने में होने वाली प्रगति ही पोषण ट्रैकर की शुरूआत है। यह बेहद सक्रिय मंच, पोषण सेवाओं की योजना, निष्पादन और निगरानी में सहायता करता है ताकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों की पहचान कर सकें और सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाया जा सके।
कमजोर लोगों तक पहुंच बनानारू ज्यादा कुपोषण वाले वर्ग का सामुदायिक प्रबंधन :
इस कार्यक्रम में जब गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) वाले बच्चों का चिकित्सा संबंधी समस्याओं के लिए मूल्यांकन किया जाता है, तो ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) को लेकर अतिरिक्त जांच की जाती है। जटिलताओं या कम भूख लगने की समस्या से ग्रसित बच्चों को पोषणिक पुनर्वास केन्द्रों(एनआरसी) या कुपोषण उपचार केन्द्रों (एमटीसी) भेजा जाता है, जबकि चिकित्सीय जटिलताओं से रहित बच्चों का उपचार आंगनवाड़ी केन्द्रों में किया जाता है।
सुधार के अवसर:
मौजूदा कार्यक्रमों ने बच्चों में मध्यम और गंभीर तीव्र कुपोषण दर में सुधार और गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों को बढ़ाते हुए एक ठोस नींव रखी है। हांलाकि, विशेष रूप से गैर-गर्भवती और गैर-स्तनपान कराने वाली महिलाओं, खासकर ऐनीमिया जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से पीड़ित किशोरियों के लिए निरंतर कोशिशें होना जरुरी है। इस समूह के लिए समर्पित हस्तक्षेप और मंचों की आवश्यकता है।
