वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बीच मतदाता सूची को लेकर विवाद तेज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं का ब्योरा मांगा है। अदालत ने आयोग को यह जानकारी नौ अक्तूबर तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग के पास मसौदा और अंतिम मतदाता सूची दोनों उपलब्ध हैं, इसलिए तुलनात्मक विश्लेषण के जरिए यह विवरण आसानी से तैयार किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि आयोग को यह स्पष्ट करना होगा कि किन कारणों से इतने बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए। अदालत ने यह भी जोड़ा कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनसुलभता सुनिश्चित करने के लिए यह जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा की जानी चाहिए।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत को बताया कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची में ज्यादातर नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं, जबकि कुछ पुराने मतदाताओं के नाम भी पुनः शामिल किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक किसी भी हटाए गए मतदाता ने कोई शिकायत या अपील दायर नहीं की है। आयोग के अनुसार, इस पूरे मुद्दे को मुख्य रूप से दिल्ली में बैठे राजनीतिक दलों और कुछ गैर-सरकारी संगठनों ने उठाया है, जबकि बिहार में किसी वास्तविक प्रभावित व्यक्ति ने अदालत का रुख नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा कि वह नौ अक्तूबर तक हटाए गए मतदाताओं की पूरी जानकारी पेश करे ताकि एसआईआर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर उठ रहे सवालों का समाधान हो सके। अदालत ने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ने से लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास और मजबूत होगा।
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