– दर्दनाक हादसे में 11 बच्चों की मौत के बाद पूरे गांव में मातम
– हमें तो अनाज देने के निर्देश हैं, खाना कौन देगा, हमें नहीं पता : गांव का पटवारी
– पका हुआ भोजन कौन देगा, जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं
वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार
खंडवा (मध्य प्रदेश) । खंडवा जिले के राजगढ़ पंचायत के पाड़ल फाटा गांव में गुरुवार रात हुए दर्दनाक हादसे में 11 बच्चों की मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसरा रहा। परंपरा के अनुसार किसी भी पीड़ित परिवार और रिश्तेदारों के घरों में चूल्हा नहीं जला। ग्रामीणों ने प्रशासन, मंत्री और विधायक से कम से कम एक समय का भोजन उपलब्ध कराने की मांग की, लेकिन उनकी गुहार पर भी संवेदनहीनता देखने को मिली।
गांव में हालात इतने खराब रहे कि बच्चे भूख से तड़पते रहे और बड़े भी बिना अन्न-जल के बैठे रहे। जब ग्रामीणों ने मंत्री और विधायक से भोजन की व्यवस्था कराने की अपील की तो मंत्री विजय शाह ने केवल इतना कहा कि शाम तक इंतजाम कर देंगे, जबकि स्थानीय विधायक ने साफ शब्दों में कह दिया कि मैं कहां से करूं। प्रशासन की ओर से भी सिर्फ अनाज देने की बात कही गई, जबकि पका हुआ भोजन कौन देगा, इस पर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हुआ। दर्दनाक घटना में इस आदिवासी फालिए ने अपने ग्यारह बच्चों को खोया, जिसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक ने सोशल मीडिया पोस्ट किया, उनके प्रति भी प्रशासन इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है?
इस दर्दनाक हादसे में जिन ग्यारह बच्चों ने अपनी जान गंवाई, उनके परिजनों के प्रति संवेदना जताने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी गांव पहुंचे। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया, जबकि जीतू पटवारी ने कहा कि पीड़ित परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए। लेकिन तत्काल राहत के रूप में भोजन की व्यवस्था न होने से परिजन और ग्रामीण भूखे पेट ही मातम में डूबे रहे। गांव में माताजी के विसर्जन के चलते भी उपवास की स्थिति थी। हादसे के दूसरे दिन तक चूल्हा न जलने से छोटे बच्चों तक का बुरा हाल हो गया। यह घटना शासन और प्रशासन की संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।