वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार
लखनऊ। किसी ने चाल चली और घर में दरार पड़ गई . बल्कि सच कहें तो मन में दरार पड़ गई. हँसता-खेलता परिवार बिखर गया. तीनों भाई अलग हो गये. दुख के दरिया से बना बादल बड़का भइया की आंखों के रस्ते बरसने लगा, इस सुलगते सवाल के साथ कि आपन कहाये वाला के बा।
भोजपुरी फिल्मों को लेकर आम धारणा होती है कि कई बार दृश्य असहज कर देते हैं, लेकिन फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’ इस सोच को पूरी तरह बदल देती है। यह फिल्म न केवल फ़िल्मांकन, कहानी, गीत-संगीत, अभिनय और निर्देशन के हर स्तर पर उत्कृष्ट है, बल्कि भोजपुरी इलाके की सच्ची और सकारात्मक तस्वीर भी पेश करती है। यह फिल्म टूटते-बिखरते परिवारों को जोड़ने वाली और दर्शक को भावनात्मक रूप से बांधने वाली कहानी है।
निर्देशक रजनीश मिश्रा ने शानदार निर्देशन किया है। गीतकार मनोज भावुक के गीत फिल्म की जान हैं। प्रियंका सिंह की आवाज़ में गीत जैसे ”भउजी जब खिसियाली बड़ी काड़ा लागेली / बाकिर हँस के छोहाली त छोहाड़ा लागेली” और ”धान कुटाये लागल, हरदी कुंचाये लागल / लगनौती बबुनी के मन कसमसाये लागल” बेहद मधुर और हृदयस्पर्शी हैं। टाइटल सांग ‘आपन कहाये वाला के बा’ ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से झकझोर दिया है और रिश्तों में दरार पैदा करने वालों के लिए अपराधबोध पैदा करता है। फिल्म में अवधेश मिश्रा, अंजना सिंह, देव सिंह, माया यादव, प्रीति मौर्या और नवोदित अभिनेत्री संयुक्ता राय का अभिनय अत्यंत प्रभावशाली है। अन्य कलाकारों में रिंकू भारती, राघव पाण्डेय, अमरीश सिंह और राम सूजन सिंह ने भी न्याय किया है। निर्माता रजनीश मिश्रा और विनय सिंह ने मिलकर फिल्म के हर पहलू को बेहतरीन बनाया है।
गीतकार मनोज भावुक और संगीतकार रजनीश मिश्रा की जोड़ी ने भोजपुरी सिनेमा के सुनहरे दौर की याद दिलाई है। मनोज भावुक के गीत शैलेन्द्र, मजरुह और अंजान जैसे महान गीतकारों की याद दिलाते हैं। यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि दर्शक के भीतर रिश्तों, परिवार और संवेदनाओं की गहरी समझ भी जगाती है।