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रिश्तों को पैसों से न तौलें, प्यार के अहसास से जिंदा रखें, अहम को स्थान न दें, मैं नहीं हमारा के सिद्धांत पर चलें

अजय कुमार वर्मा
35 साल की उम्र में मेरा विवाह हुआ, यह काफी लेट समय था और जिससे मेरी शादी हुई उसकी उम्र 37 साल थी। पहले के लोग शादी जल्दी करने पर जोर देते थे, लेकिन आज की पीढ़ी पहले करियर बनाने के पीछे भागती हैं। कम उम्र में हुई शादी से आपको आपके पार्टनर और परिवार से घुलने मिलने में ज्यादा आसान होती है लेकिन देर में हुई शादी में लोग इतने ज्यादा जटिल हो जातें हैं, उनमें इतना ज्यादा अहम आ जाता है, स्वाभिमान में इतने ज्यादा अन्धे हो जाते हैं कि अपने मन से झुकना, समझौता करना भूल जाते हैं सम्बंध प्रोफेषनल हो जाते है जिससे वह अपने आप को नए माहौल में नहीं ढाल पाते।
35 की उम्र में शादी होने से वैसे हो शरीर में कामवासना खत्म हो जाती है, रही सही कसर 37 साल के पुरुष के अंदर भी नही बचती, बचती है तो एक बात वो है साथ। पति को संभोग सुख दो तो वो तुम्हे दुनिया के सारे सुख देगा, अपनी सहेलियों मां और चाची से ये बात हमेशा सुनती आ रही थी, लेकिन असल में कमी कुछ और थी। जब मेरी शादी हुई तो मुझे पता था जिस व्यक्ति से मेरी शादी हो रही है वो काफी कम कमाता है, पर 35 साल की उम्र होने पर मेरी मां को भी काफी चिंता होने लगे थी। क्यों की मेरे पापा की मृत्यु समय से पहले हो गई थी। मैने घर वालों से बात की तो लोगो ने बोला शादी करो नही तो उम्र निकल जाएगी। सहेलियों से बात की तो वह बोली कि रात को बिस्तर पर पति को खुश रखो वो खुद मेहनत कर के ज्यादा पैसे कमाएगा।
सबकी बातों को ध्यान में रख कर मैने शादी कर ली। लेकिन शादी के बाद पत्नी के साथ साथ एक पुरुष की जिंदगी में एक और चीज आती है जिसे हम जिम्मेदारी के नाम से जानते हैं। मेरे पति इस बात को जानते थे की मैं शादी से खुश नहीं हूं क्यों की मेरी आय कम है। शादी के पहली रात उन्होंने मुझसे कहा, देखो मेरी आय कम है, उम्र ज्यादा है इसका मतलब ये नही है की हम दोनों साथ में खुश नहीं रह सकते। मैं तुम्हे सभी संसाधन तो नही दे सकता लेकिन इतने जरूर दे सकता हूं की हमारी जिंदगी अच्छे से चले। और उस रात खाली यही बात हुई, ऐसे ही करते करते 20 से 22 दिन बीत गए पर हम दोनो के बीच पति पत्नी वाला रिश्ता बना ही नही शायद उन्हें मन में मलाल था की वो कम कमाते हैं। फिर सहेलियों से बात हुई सबने फिर वही बात कही, उसे खुश करो और वो खुद तुम्हारी जरूरतें पूरी करेगा।
महीने के अंत में उन्हें वेतन मिला 25000 रुपए, जिसमे से 5000 रुपए वो भविष्य के लिए रख कर 20000 मुझे दिया और बोला मेरी जरूरतें काफी सीमित है, ये पैसे तुम रखो। अगर मुझे जरूर हुई तो ले लूंगा। तुम अपने हिसाब से घर देख लो। पर जब मैंने हिसाब लगाना शुरू किया तो पैसे कम पड़े
जब मैने इनसे इस बारे में डिस्कस किया तो वो बोले थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन मैं दूसरी नौकरी के लिए ट्राई कर रहा हूं। ऐसे ही करते करते शादी को 6 महीने हो गए और हमारा झगड़ा हुआ, मैं बोलती और पैसे कमाओ वो बोलते जो हैं उसमे एडजेस्ट करने की कोशिश करो। बात इतनी बढ़ गई की मैं अपने मायके आ गईं और मन बना लिया की अब इनके साथ नही जाना है। उन्हेंाने कई बार मुझे बुलाया मेरे घर आए लेने। थक हार कर मैने भी बोल दिया जिस दिन आप अच्छा कमाने लगेंगे उस दिन आजाना लेने, आप तो अभी पूरी तरह से मेरा खर्चा भी उठा नहीं पाते। ये बात उन्हें बहुत बुरी लगी, क्यों की गुस्से की वजह से मेरा बोलने का लहजा भी खराब था।
जो इंसान मेरा खर्चा नही उठा सकता वो मुझे छोड़ने की धमकी दे रहा है:
लेकिन इस बार उस इंसान के गिरेबान को चोट पहुंची थी, वो वापस तो गया लेकिन कभी लौट के नही आया। आया तो उनके वकील का फोन, कहाकि अगर तुम मुझसे अलग होना चाहती हो तो हो सकती हो। जिससे मेरा गुस्सा और भड़क गया मुझे लगा को जो इंसान मेरा खर्चा नही उठा सकता वो मुझे छोड़ने की धमकी दे रहा है। मैने भी बोल दिया नही रहना है साथ में। हमारी हियरिंग हुई जज ने पूछा, तो उन्होंने स्पष्ट बोला, मेरी तनख्वाह कम है, जिससे इन्हंे आपत्ति है, और मैं इन्हे खुश नहीं रख पा रहा हूं, मेरे बस में इससे ज्यादा कुछ नहीं। जज ने मुझे समझाया लेकिन इगो की वजह से मैंने किसी की नही सुनी और कुछ समय बाद मेरा तलाक हो गया।
तलाक के 6 महीने मैं घर पर थी लेकिन उसके बाद एक नौकरी की, अब मेरी उम्र 37 साल हो गई थी। नौकरी पर आने पर पता चला कि कितना मेहनत का काम है। और ये भी पता चला की डिवोरसी लड़की के आगे पीछे सब घूमते हैं, मौके का तलाश करते हैं कि कब मौका मिले और इसके साथ कुछ करने को मिले। मौका पातें ही यहां वहां हाथ लगाते हैं, जानबूझकर धक्के मारते हैं। मेरी पहली तनखवाह 15000 की है अब समझ में आने लगा था की नौकरी करना कितना कठिन है। कुछ भी चाहो लेकिन हमारे हाथ में कुछ नही हैं। अब जिस 15000 के लिए मुझे 10 से 6 काम करना पड़ता था, लोगों के हरासमेंट का सामना करना पड़ता था। पहले घर बैठे 20000 मिलता लेकिन अब काम करने के बाद 15000 मिल रहा है ऊपर से दिनभर की मेहनत और षर्मिंदगी के साथ जलालत भरी जिंदगी। अपने घर में मैं किसी की नहीं सुनती थी पर आज घर के बाहर सब की सुनना और उनकी आदतों को सहना मेरी मजबूरी है।
लेकिन आज उसी शख्स की तन्खवाह 86000 रुपए है। मैने ये गलती की रिश्ते को पैसे के पैरा मीटर के पर तोलने लगी थी लेकिन सह सही नही था। यदि प्यार से उन्हें समझती तो हमारा जीवन भी आगे अच्छा चलता।
आज के दौर में लड़कियां किसी लड़के से शादी करने से पहले ये जानना चाहती हैं की लड़का कितना कमा रहा हैं। लेकिन असल में किसी से शादी करने से पहले ये जानना जरूरी है की उसका चरित्र कैसा हैं। शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, सामंजस्य और विश्वास। एक अच्छा रिश्ता पैसे की दम पर नही चलता है। मुझे ये बात तब समझ आए जब मैंने अपना रिश्ता खो दिया।
बाहर वालों की चार बात सुनने से बेहतर है कि किसी कम आय वाले के साथ शादी कर के अपना समझ कर प्यार और विष्वास के साथ खुश रहने में ही आनंद है।

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