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हीट स्ट्रोक : धूप से बचाव ही सबसे बेहतर उपचार है, पानी का प्रयोग ज्यादा करें – प्रो० सी० एम० सिंह

वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। भीषण गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए लोहिया संस्थान के निदेशक प्रो० सी० एम० सिंह ने गर्मी की तपिश से राहत के लिए सावधानियां व जनहित में अपील जारी की है। उन्होंने कहा कि हीट स्ट्रोक से अपना बचाव करें और अपने आपको सुरक्षित रखें।
प्रो० सी० एम० सिंह ने कहा कि डॉ० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान उन समस्त लोगों से अपील करता है जो वर्तमान में अत्यधिक गर्मी की लहर का सामना कर रहे हैं। यह लू (हीट स्ट्रोक) किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, इसलिए जब तक बहुत आवश्यकता न हो तो धूप में न निकलने का अनुरोध किया जाता है। साथ ही अपनी सुरक्षा के लिए बाहर निकलते समय नीचे दी गयी सावधानियों का पालन करें क्योंकि बचाव ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
रोकथाम व सावधानियां –
1. प्यास न लगने पर भी थोड़ी. थोड़ी मात्रा में पानी पीते रहें।
2. धूप में निकलते समय छाता का प्रयोग करें।
3. ढ़ीले और आरामदायक हल्के रंग के कपड़े कम से कम परतों में पहनें।
4. अपने साथ गीला तौलिया या गमछा रखें और उससे अपने सिर को ढ़कें।
5. जब भी संभव हो छायादार जगहों पर आ जाएं।
6. अनावश्यक शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करने से बचें।
7. व्यायाम घर के अन्दर ही करें।
8. बच्चों और बुजुर्गों का विषेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि उन्हें लू (हीट स्ट्रोक) लगने का खतरा ज्यादा होता है।
9. खासकर दिन में 11 बजे से 4 बजे के बीच तक बाहर से निकलने से बचें।
प्रो० सी० एम० सिंह, निदेशक,   डॉ० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान  प्रो० सिंह ने आगे बताया कि जिन मरीजों का नियमित (रूटीन) चेकअप का समय निर्धारित है उनसे अनुरोध हैे कि यदि आप सहज कोई तकलीफ नही है तो आगे का समय सुनिश्चित करवा लें तथा हृदय और अन्य दीर्घकालिक बीमारियों के लिए सलाह में दी गयी दवाइयां लेना जारी रखें। 15–20 दिन में लगभग गर्मी कम हो जाने पर सम्बन्धित डॉक्टर से मिलकर अग्रिम परामर्ष ले सकते हैं। संस्थान हेल्पलाइन नम्बर प्रदान कर रहा है जहां मरीज लू (हीट स्ट्रोक) से संबन्धित किसी भी तरह की सहायता के लिए फोन कर सकते हैं। आपातकालीन सी.यु.जी.नम्बर. 8189007827 एवम 8176007286 सोमवार से रविवार चैबीस घण्टे आपकी सेवा में तत्पर.
लू (हीट स्ट्रोक) के लक्षणों की पहचान:
1, कमजोरी या थकान महसूस होना। 2. बेहोषी या चक्कर आना। 3. घबराहट होना। 4.सिरदर्द होना। 5.मिचली या उल्टी आना। 6.व्यवहार में बदलाव या चिड़चिड़ापन होना।
प्रो० सिंह ने कहा कि यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो अस्पताल पहुंचने से पहले पीड़ित व्यक्ति को छाया में ठण्डी जगह या पंखे के पास हवादार जगह पर ले जाएं। टाइट कपड़े हटा दें और षरीर पर केवल ढ़ीले कपड़े ही रहने दें। पीड़ित व्यक्ति पर गीला तौलिया रखें और शरीर को गीले कपड़े से पोंछते रहें। शरीर को ठण्डा रखने के लिए ठण्डे पानी या बर्फ का उपयोग कर सकते हैं। यदि मरीज होष में है और पानी पी सकता है तो उसे तरल पदार्थ देने का प्रयास करें। इसके अलावा मरीज को शिकंजी ,नीबू पानी देते रहें। यदि मरीज पूरी तरह से होश में न हो तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्रों पर जाकर आई.वी.फ्लूड लगवाएं तथा पीड़ित के स्वस्थ होने तक चिकित्सीय परामर्ष लेते रहें। ध्यान रखें धूप से बचाव ही सबसे बेहतर उपचार है। धूप से बचें और अत्यधिक आवश्यकता पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें।

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