– इको विलेज और ट्रेनिंग सेन्टरों की स्थापना के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करना ही प्राथमिक उद्देश्य।
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
नई दिल्ली 22 अप्रैल। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISCKON) ने हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त करने के उद्देश्य से एक अभूतपूर्व साझेदारी की है। इस साझेदारी के अन्तर्गत ये कई राज्यों में आदिवासी और वंचित युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक साथ आगे आए हैं।
संयुक्त रूप से संचालित किए जाने वाले शार्ट-टर्म कोर्स के माध्यम से, प्रतिभागियों को स्किल इंडिया डिजिटल हब प्लेटफॉर्म के माध्यम से उद्योग-मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेट प्राप्त होंगे, जिससे उनकी रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। इसके अलावा, वे ग्लोबल मोबिलिटी और प्लेसमेंट व्यवस्था में विशेषज्ञता रखने वाली एनएसडीसी की सहायक कंपनी एनएसडीसी इंटरनेशनल द्वारा सुविधा प्राप्त इंटरनेशनल जॉब प्लेसमेंट के लिए पात्र होंगे।
पहले प्रोजेक्ट का लक्ष्य नंदुरबार (महाराष्ट्र), जयपुर ग्रामीण (राजस्थान), और मंडला और बालाघाट (मध्य प्रदेश) जिसमें कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्र भी शामिल हैं, जैसे क्षेत्रों में समान आत्मनिर्भर और टिकाऊ प्रतिष्ठान स्थापित करके महाराष्ट्र के पालघर के गोवर्धन इको विलेज (जीईवी) जैसी सफलता को दोहराना है। दूसरा प्रोजेक्ट स्थानीय अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए कौशल विकास विशेष रूप से हॉस्पिटैलिटी, रीटेल और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस्कॉन के साथ साझेदारी में इंडिया स्किल सेन्टरों की स्थापना करके, यह पहल महिलाओं सहित स्थानीय युवाओं को रोजगार और उद्यमिता के अवसरों के लिए आवश्यक कौशल से मजबूत करेगी।
एनएसडीसी के स्किल इंडिया सेन्टरों के पास विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं को सशक्त बनाने, वर्कफोर्स में उनके प्रवेश की सुविधा प्रदान करने और ग्लोबल मोबिलिटी के अवसरों की खोज करने के लिए रिसोर्स और सहायता प्रदान करने का एक पुराना ट्रैक रिकॉर्ड है। प्री-इन्क्यूबेशन और ऑन्तरप्रेन्योरशिप डेवलपमेन्ट ट्रेनिंग के माध्यम से, उभरते उद्यमियों को प्रोटोटाइप डेवलपमेन्ट, क्रेडिट तक पहुंच, मेन्टरशिप और मार्केट लिंकेज स्थापित करने जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।
एनएसडीसी और इस्कॉन के बीच साझेदारी कौशल वृद्धि के माध्यम से सतत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हाशिए पर रहने वाले समुदायों को अवसरों तक पहुंच प्राप्त हो जिससे आर्थिक समृद्धि और सभी का सामाजिक समावेशन हो सके।
Check Also
बुद्विमान् वही जो इहलोक में रहते अपना परलोक भी सुधार ले : शं्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा दिल्ली। बुद्विमान् वही जो इहलोक में रहते अपना …