वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 14 नवंबर। डाला छठ व्रत या सूर्य षष्ठी व्रत पर्व के रूप में पूरे देश भर में बडे ही धूमधाम से मनाया जाता है।
महत्व :
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य आराधना के इस पर्व को सूर्य षष्ठी या डाला छठ भी कहा जाता है। पुत्र की कामना से किए जाने वाले इस व्रत से पति, पुत्र को दीर्घायु और आरोग्य के साथ ही परिवार को धन धान्य और सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
विधि :
इस व्रत को नियमानुसार और निष्ठा के साथ पूरा किया जाता है। इस व्रत को करने वाली स्त्री पंचमी के दिन सिर्फ एक बार नमक रहित भोजन करती है और षष्ठी को निर्जला अर्थात बिना जल के रहती हैं। षष्ठी को अस्त होते सूर्य को विधि पूर्वक पूजा करके अर्घ्य देती है। फिर विधिपूर्वक बनाए गए पकवान, फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाती है। रात भर जागरण करते हुए भजन कीर्तन होता है और अगले दिन यानी सप्तमी को प्रातःकाल किसी नदी या तालाब में जाकर व्रती स्नान करती हुई गीत गाती हैं और सूर्योदय होते है फिर से जल अर्घ्य देकर जल ग्रहण करते हुए व्रत को पूर्ण करती हैं।
दिनाक 17-11-2023 को दिन शुक्रवार नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारम्भ होगा।
दिनाक 18-11-2023 को दिन
शनिवार खरना होगा।
दिनाक 19-11-2023 को दिन रविवार छठ पूजा डूबते सूर्य को अर्ध्य देते होगा।
दिनाक 20-11-2023 को दिन सोमवार उगते हुए सूर्य को अर्ध्य के साथ छठ पूजा का समापन होगा।
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