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पहलगाम आतंकी हमला: वे पूरी तैयारी और मक्कारी से आए थे, देना ही होगा मुंह तोड़ जवाब – डॉ घनश्याम बादल

वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी/ अजय कुमार
उत्तराखण्ड। वे पूरी तैयारी से आए थे। खाना, पीना, ड्राई फ्रूट्स, दवाइयां, हथियार, हेलमेट में कैमरे, सेना की वर्दी, और उच्च श्रेणी के अत्याधुनिक संपर्क साधन सब कुछ था उनके पास। वें हर बार की तरह परंपरागत तरीके से हमले के लिए नहीं आए थे बैसरन की घाटी में। घुड़सवारी सवारी कर रहे पर्यटकों के बीच उन्होंने अपने आपको भारतीय सैनिकों के रूप में प्रस्तुत किया, उनके नाम पूछे, कहां से आए हैं, मुकाम पूछे और फिर चुन – चुन कर गोलियों की बारिश शुरू कर दी। उनके पास छोटे-मोटे हथियार नहीं बल्कि स्टील कारतूस युक्त अत्याधुनिक हथियार थे। उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि जो जिंदा बचे हुए जाकर मोदी को बताएं कि उनके साथ क्या हुआ है यानी उन्हें किसी का खौफ नहीं था। एक तरीके से मोदी को आइना दिखाना चाहते हैं जो आतंकी हमला होने पर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करने से भी नहीं चूकते ।
जिस तरह नाम और धर्म पूछ-पूछ कर और नमाज पढ़ने या कलम सुनाने के बहाने यह सुनिश्चित करके कि अमुक पर्यटक मुसलमान है या नहीं, हत्याएं की गई। इसके पीछे जहां एक ओर इन दहशतगर्दो की हिंदुस्तान एवं हिंदुओं के प्रति नफरत झलकती है वहीं इसके पीछे एक गहरी षड्यंत्रकारी नीति भी दृष्टिगोचर होती है। साफ सी बात है कि वे भारतीय हिंदुओं एवं मुसलमानों में नफरत की गहरी खाई खोदने का प्रयास कर रहे थे।
इस हमले से पूर्व की पृष्ठभूमि पर यदि निगाह डाली जाए तो जिस तरह पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष आसिम मुनीर ने 16अप्रैल को एक समारोह में पाकिस्तानियों को अपने बच्चों को पाकिस्तान की कहानी सुनाने के बहाने से पाकिस्तानी श्रोताओं के मन में जहर घोला कि वह हिंदुओं से बिल्कुल अलग हैं यानी विपरीत है तो स्पष्ट है कि वह हर पाकिस्तान के मन में हिंदुस्तान और हिंदुओं के प्रति जहर घोलने चाहते हैं। और जिस तरह उन्होंने कश्मीर के अलगाव वादियों को हीरो बताया तथा उन्हें उनके साथ देने की बात की उससे भी शक की सुई पाकिस्तान की ओर घूमती है। अब इसे संयोग कहे या प्रयोग कि उनकी तकरीर के दो दिन बाद ही एक दहशतगर्द संगठन का नेता भारी भीड़ के सामने
जिस प्रकार से भड़काऊ भाषण देकर कहता है कि हम अपना बदला आपकी गर्दनों पर बंदूकों से गोलियां चला कर लेंगे कहीं ना कहीं इस बात का सबूत है कि कुछ न कुछ जमीन के नीचे – नीचे लंबे समय से पक रहा था जिसे मौका पाकर पूरी योजना के साथ अंजाम दिया गया है। आतंकवादी कितने निडर व क्रूर थे इससे भी पता चलता है कि उन्होंने मरते हुए लोगों की वीडियो तक बनाई। एयर स्ट्राइक का दर्द बदले की आग के साथ लगातार बाहर आ रहा है बिना यह सोचे कि आखिर एयर स्ट्राइक या सर्जिकल स्ट्राइक करनी क्यों पड़ी थी और उनकी हैसियत हिंदुस्तान के सामने क्या है । साथ ही साथ एक और शक पैदा होता है कि जिस तरह एशिया में इन दिनों पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल व श्रीलंका चीन के संजाल में फंसते जा रहे हैं कहीं यह भारत को घेरने की साजिश तो नहीं है और इस तरह के हमले जिनमें आम लोगों को मारा जाता है एक बड़े उकसावे की कार्रवाई के अंतर्गत किए गए हों। निश्चित ही हमले के बाद सरकार प्रशासन सेना एवं इंटेलिजेंस सब की सक्रियता बढ़ जाएगी । लेकिन एक प्रश्न फिर खड़ा होता है कि यदि ऐसी सतर्कता एवं सावधानी तथा सक्रियता हर वक्त बनाए रखी जाए तो फिर ऐसे हमले होने की नौबत ही क्यों आए। खैर यह वक्त आलोचना का नहीं अभी तो जो काम है वह है आतंकवाद को कुचलना। इस लिए यह वक्त सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का है। आलोचनाएं और राजनीति तो बाद में भी की जा सकती हैं। इस दुर्दांत आतंकवादी हमले में भारत ने केवल 28 भारतीय ही नहीं खोए हैं अपितु एक तरह से उसकी संप्रभुता को खुली चुनौती दी गई है। आकलन किया जा रहा है कि संभवतब यह आतंकवादी पहलगाम में 26 9 2011 जैसा ही वीभत्स दृश्य पैदा करना चाहते थे मगर ऐसा नहीं हो पाया लेकिन क्षति कम नहीं हुई है। आज हम एक संप्रभु ही नहीं अपितु एक सशक्त राष्ट्र भी हैं इसलिए एक कड़ा संदेश तो देना होगा और वह भी ठंडे दिमाग, चतुर रणनीति और पूरी योजना तथा उसके दूरगामी परिणाम के आकलन के साथ। बार-बार कहा जाता है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता लेकिन इस हमले में आतंकवाद का धर्म भी खुलकर सामने आया है हिंदू ही मारे गए हैं और नाम पूछ – पूछ कर चुन चुन कर मारे गए हैं। सारे आतंकवादी भी एक मजहब विशेष के ही हैं जो उनके नाम से खुलकर सामने आता है। संदिग्ध आतंकवादियों आदिल गूरी, आसिफ शेख, सुलेमान शाह, अबू तल्हा, मूसा, यूनुस, आसिफ के नाम कहानी खुद बयां कर रहे हैं। जब तथ्य इतने स्पष्ट हों तब यह कहना यथार्थ को नजरअंदाज करना होगा कि आतंकवाद का धर्म नहीं है इस हमले में। मगर यह बात कहने से पहले यह भी सोचना होगा कि कहीं हमलावर आतंकी ऐसा ही तो नहीं चाहते कि हम इस तरह की प्रतिक्रिया दें और देश के हिंदुओं एवं मुसलमानों के बीच एक गहरी खाई पैदा हो जाए। अतः उनके बिछाए इस कपट जाल का तोड़ भी तलाशना होगा। अब इसे संयोग कहें या दुर्भाग्य इस हमले में मारे गए पर्यटकों में हरियाणा के करनाल से लेकर कोच्चि तक हैदराबाद, उत्तराखंड, कर्नाटक लगभग पूरे देश के नागरिक शामिल हैं जिनमें एक नवविवाहित नौ सैनिक विनय नरवाल भी शामिल हैं जिनकी शादी अभी कुछ दिनों पहले ही हुई थी। आतंकी किस तरह भावनात्मक रूप से तोड़ना चाहते हैं यह उनकी बातों से पता चलता है जब वह पति की हत्या के बाद पत्नी से कहते हैं कि तुझे हम इसलिए नहीं मार रहे हैं जिससे तू जाकर मोदी को बता सके कि हमने तेरे पति के साथ क्या किया। खैर भावनाओं और आतंक का आपस में क्या लेना देना मगर देश की भावनाएं इस हमले से बुरी तरह आहत हुई है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए की टी आर एफ जैसे मुखौटा संगठन किस तरह तकनीकी एवं हर बार नए तरीके का इस्तेमाल करते हैं हमें भी दुश्मन को कुछ इस तरह नए तरीके से चैंकाना होगा कि भविष्य में वह इस तरीके की जरूरत तो क्या सोच भी न सके। और और इन हमलों में संलिप्त आतंकवादियों के साथ-साथ उनके आकाओं को भी गहरे देने की देश की ख्वाहिश को त्वरित एवं निर्मम तरीके से पूरा करना होगा ।

डॉ घनश्याम बादल, (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

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