वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के विरोध में विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील की है।
संगठन के महामंत्री अनिल कुमार राठौर ने बताया कि विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के सदस्य पूरे मनोयोग से विद्युत क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे है। विगत दिवस उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि0 ने पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण करने का फैसला कर लिया है जिससे सभी बिजली कम्रियों में छटनी की आषंका से भय और असंतोस व्याप्त है। कॉरपोरेशन के इस फैसले से 27000 कर्मी बेरोजगार हो जाएगें। पूर्व 2018 एवं 2020 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा और मंत्रिमंडलीय उप समिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उप्र में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु अभियंताओं एवं विद्युत कर्मियों को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जायेगी। कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लिये बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जायेगा। लेकिन अब उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा प्रदेश के दो डिस्कॉम पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का निजीकरण किया जा रहा है।
वी के सिंह केन्द्रीय अध्यक्ष ने बताया कि इस बाबत विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के सदस्यों ने उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए निजीकरण के फैसले को रद्द करने की कृपा करें जिससे हजारों परिवारों पर छाया छटनी का काला बादल छट सके और लाखों उपभोक्ताओं को पूंजीपतियों के द्वारा भविस्य में होने वाली हानि से बचाया जा सके।
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