वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 4 सितम्बर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रदेश में किसान जीवन-मरण की लड़ाई लड़ रहा है। सरकारी प्रचार में उसको बहुत कुछ देने का दावा किया जा रहा है जबकि हकीकत में उसकी झोली खाली की खाली है। उसको मिल कुछ नही रहा है पर उसे दुगनी आमदनी का रंगीन सपना देखने को मजबूर किया जा रहा है। भाजपा की नीति और नीयत दोनों किसानों के हितों की अनदेखी करने वाली है।
किसानों की बदहाली की कहानी भाजपा राज में कोई सुनने वाला नहीं है। उसकी खेती की लागत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। डीजल मंहगा है। बिजली का बिल बढ़चढ़कर आ रहा है। खाद, बीज के दाम बढ़ गए हैं। किसानों को कर्ज मिलने में तमाम दिक्कतें पेश आती हैं। भाजपा अपने किए सभी वादे भूल गई हैं, वह सिर्फ किसानों को गुमराह करने में लगी है।
प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक किसानों से गेहूं, धान और गन्ने की खरीद, एमएसपी दर पर करने को खूब प्रचारित करते है लेकिन एमएसपी का लाभ किसान को नहीं, बिचौलियों को ही मिल रहा है। किसान धीमी खरीद से मंडी में अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर होता है। किसान को खरीद केन्द्रों पर क्वालिटी के नाम पर गेंहू या धान की खरीद से मना कर दिया जाता है ताकि किसान परेशान होता रहे।
चूंकि भाजपा की नीतियां बड़े घरानों की पोषक हैं, इसलिए प्रदेश में चीनी मिलों को तो राहतें दी गई हैं किन्तु किसान के लिए गन्ना की एमएसपी में बढ़त करने का कोई उम्मीद नहीं है। सपा सरकार में गन्ना किसान को 40 रूपये की एक मुष्त बढ़ी रकम दी गई थी। भाजपा किसान को सिर्फ भटका रही है। पेराई सत्र शुरू होने वाला है परन्तु आज भी गन्ना किसानों का मिलो पर 10 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा बकाया है।
भाजपा अपने को किसान हितैषी बताने का ढोंग तो करती है पर वास्तव में वह किसान और खेती दोनों को बर्बाद करने पर तुली है। किसानों पर तीन काले कृषि कानून लाद दिए गए हैं जिनके लागू होने पर किसान अपने खेत का मालिक नहीं रह जाएगा। उसकी स्थिति खेतिहर मजदूर जैसी हो जाएगी। इन कानूनों का लगातार किसान विरोध कर रहे हैं। भाजपा सरकारें उन्हें पीट रही हैं। सैकड़ों किसान धरना-प्रदर्शन में अपनी जान गवां चुके हैं। इसके बावजूद भाजपा सरकार संवेदनशून्य बनी हुई है।
भाजपा सरकार झूठ का कारोबार करने में माहिर है। वह करती कुछ नहीं है बस प्रचार का हवाई महल खड़ा कर लोगों को अचम्भित करती है। जनता और खासकर किसान भलीभांति जान गया है कि भाजपा सरकार के रहते उसकी जिंदगी में ‘अच्छे दिन‘ नहीं आने वाले हैं। केवल सन् 2022 में समाजवादी सरकार बनने पर ही उसके हितों के संरक्षण की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
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