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शारदीय नवरात्रि: सप्तमी, मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र

– दिन 7 बुधवार, 9 अक्टूबर, 2024 सप्तमी सरस्वती आवाहन, कालरात्रि पूजा शाही नीला देवी
वेबवार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा / लखनऊ।
      मां कालरात्रि की पूजा विधिः नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि की पूजा से जुड़ी कुछ खास बातें जैसे कालरात्रि की पूजा, दुर्गा का उग्र और विनाशकारी रूप है। शाही नीला रंग समृद्धि, शांति और गहराई का प्रतीक है, जो कालरात्रि के शक्तिशाली लेकिन शांत स्वभाव को दर्शाता है। मां कालरात्रि की पूजा सुबह और रात दोनों समय की जाती है। मां कालरात्रि की पूजा के लिए लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए। इसके बाद चैकी पर मां कालरात्रि की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए। मां कालरात्रि को जल, फूल, अक्षत, धूप, दीप, गंध, फल, कुमकुम, सिंद एवं गुड़हल के फूल चढ़ाएं जाते हैं और गुड़, गुड़ की खीर या गुड़ से बनी चीज का लगाया जाता है। मां कालरात्रि की पूजा में लाल चंदन की माला से मंत्रों का जप करना चाहिए। अगर लाल चंदन नहीं है तो रुद्राक्ष की माला से भी माता के मंत्रों का जप कर सकते हैं। इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती उतारें और पूरे परिवार के साथ जयकारे लगाएं।
      मां कालरात्रि की पूजा से मन का भय दूर होता है और जीवन की समस्याएं हल होती हैं। मां कालरात्रि शनि ग्रह और रात को नियंत्रित करने वाली देवी हैं। मां कालरात्रि की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
मां कालरात्रि का मंत्र:
ॐ कालरात्र्यै नमः। एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥ जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि। जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥ ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी। एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
मां कालरात्रि आरती:
कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥
(उपरोक्त पौराणिक मान्यताओं के अनुसार है, स्वर्ण प्रिया इसकी सत्यता की पुस्टि नहीं करता है।)

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