– एंडोमीट्रियॉसिस के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये एंडो रन का आयोजन
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। पेशेंट एकेडमी फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च ने बेयर के सहयोग से आज तीसरी एंडो रन का आयोजन किया। मार्च में एंडोमीट्रियॉसिस जागरूकता माह के अवसर पर बड़े पैमाने पर आम जनता को इस बारे में जागरूक बनाने के मकसद से इस इंडो रन का आयोजन कृष्णा नर्सिंग एंड पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट, लखनऊ में किया गया। इस पहल ने मरीजों, परिवारों, शोधकर्ताओं और डॉक्टरों को एकजुट कर एंडोमीट्रियॉसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने में योगदान दिया। इसका मकसद एंडोमेट्रियोसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाना, इस स्थिति के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा को बढ़ावा देना और इससे प्रभावित महिलाओं और परिवारों के लिए अधिक समर्थन और संसाधनों की मांग करना है।
श्वेता राय, मैनेजिंग डायरेक्टर, बेयर जायडस फार्मा एंड कंट्री डिवीजन हैड, बेयर फार्मास्युटिकल्स, साउथ एशिया ने कहा “हमारे समाज में तकलीफदेह पीरियड्स को नॉर्मल मान लिया गया है, जिसका परिणाम यह हुआ है कि अक्सर महिलाएं अपने पीरियड्स की तकलीफों की तरफ ध्यान न देकर यह मान लेती हैं कि उन्हें हमेशा इन्हें सहना होगा। लेकिन महिलाओं को यह बताया जाना महत्वपूर्ण है कि उन्हें असुविधा और पीड़ा के बीच अंतर की समझ होनी चाहिए। बेयर फॉर हर पहल इसी विषय को चर्चा के केंद्र में लाना चाहती है और इसके तहत खुद अपनी स्थिति का जायजा लेकर महिलाओं को सावधानीपूर्वक यह पता लगाना होता है कि कहीं वे एंडोमीट्रियॉसिस से पीड़िततो नहीं हैं। इस तरह, उन्हें यह समझ में आता है कि वे अपनी तकलीफों के बारे में डॉक्टरों से सलाह-मश्विरा कर सकती हैं और अपनी तकलीफ से राहत के लिए सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध समाधानों की भी जानकारी ले सकती हैं। शीघ्र डायग्नॉसिस और ट्रीटमेंट से लंबे समय तक तकलीफ सहने से बचा जा सकता है और इस तरह, समय पर इलाज के चलते सर्जिकल इंटरवेंशन से भी बचाव होता है।
डॉ दीक्षा जायसवाल, प्रोजेक्ट ऑफिसर, पेशेंट एकेडमी फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च ने कहा, “गंभीर किस्म के लक्षणों और असहनीय पीड़ा से गुजरने वाली महिलाओं के मामले में शीघ्र डायग्नॉसिस और उपचार लेने के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
एंडोमीट्रियॉसिस एक सामान्य, क्रोनिक, गाइनीकोलॉजिकल अवस्था है जिससे दुनियाभर में 247 मिलियन महिलाएं तथा भारत में 42 मिलियन महिलाएं प्रभावित हैं। इस कंडीशन में कुछ टिश्यू जैसे कि गर्भाशय की परत अंदर की बजाय गर्भाशय के बाहर पनपती है। इसके कारण एंडोमीट्रियॉसिस से ग्रस्त महिलाओं को क्रोनिक पेल्विस पीड़ा, भारी मासिक धर्म, थकान, डिप्रेशन और इंफर्टिलिटी की समस्या होती है। इस कंडीशन का डायग्नॉसिस अक्सर 6 से 10 वर्ष की देरी से होता है, परिणामस्वरूप इससे ग्रस्त महिलाओं की जीवन गुणवत्ता पर काफी बुरा असर पड़ता है।