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मानसून सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित, विस अध्यक्ष ने नेता विपक्ष के योगदान को उच्च परम्पराओं को स्थापित करने वाला बताया

वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा                                                                                                                                        लखनऊ 11 अगस्त। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सदन प्रत्येक सदस्य के सहयोग से चलता है, चाहे वह सत्ता पक्ष का सदस्य हो अथवा विपक्ष का हो। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो मिलकर ही सदन को चलाते हैं। हम सब जनआकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ही यहां आते हैं। सदन की गरिमा सदन की उच्च परम्पराओं से ही स्थापित होती है।विधानसभा के मानसून सत्र के अनिश्चिकाल स्थगित होने की घोषणा से पहले विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने सदन को संचालित करने लिए कई विशिष्ट नियम अथवा कड़े कानून नहीं बनाये, क्योंकि उनको यह आभास था कि भारत में लोकतंत्र शनैः-शनैः प्रगति करेगा और ऐसे संक्रमणकाल में सदन संचालित करने के कड़े नियम बनाने से लोकतंत्र की प्रगति में बाधा पड़ सकती है।
उन्होंने कहा कि हम सबकी यह जिम्मेदारी है कि सदन सदाशयता से संचालित हो, जिससे कि लोकतंत्र प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे। सदन को संचालित करना सिर्फ अध्यक्ष का कार्य नहीं है और न ही ऐसा संभव है। अध्यक्ष सभी के सहयोग से सदन संचालित करते हैं। भारत में लोकतंत्र की प्रगति संतोषजनक रही है, परंतु अभी भी बहुत परिमार्जन बाकी है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में सामाजिक द्वंद भी परिलक्षित होते हैं। इसके कारणवश कभी-कभी सदन में तल्खी भी हो जाती है, परंतु वह लोकतंत्र के संक्रमणकाल की प्रक्रिया है। श्री महाना ने कहा कि संसदीय आचरण को आदर्श माना जाता है। श्री महाना ने कहा कि प्रारंभ से अब तक सदन का मुझे भरपूर सहयोग मिला है। नेता प्रतिपक्ष स्वयं इस सदन के नेता भी रह चुके हैं। उनके द्वारा जिस प्रकार का सहयोग विपक्ष की ओर से दिया गया है, वह उत्तर प्रदेश विधान सभा की उच्च परम्पराओं को स्थापित करता है। नेता प्रतिपक्ष का यह योगदान सदैव याद किया जायेगा। उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने लोकतंत्र में बड़े आयाम स्थापित किये हैं और वह स्वयं भी इस दिशा में उच्चस्तरीय कार्य कर चुके हैं।
श्री महाना ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना इस सदन के वरिष्ठतम सदस्यों में से एक हैं। उनका राजनैतिक जीवन भी आदर्श रहा है। संसदीय प्रक्रिया एवं पद्धति में उनका पूर्ण अनुभव है। संसदीय कार्य मंत्री के रूप में जिस प्रकार से उन्होंने सदन संचालित करने का मानक स्थापित किया है, वह आने वाली पीढ़ी के लिए दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

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