वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनउ 13 अगस्त। 14 अगस्त के पूर्व दिवस पर दिल के दर्द को अपनी आवाज देते हुए भाजपा प्रदेष अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि 14 अगस्त भारतीय इतिहास का काला दिवस था देश के बंटवारे का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दिन भारत के भूगोल, समाज, संस्कृति सभी का बंटवारा हो गया था। नफरत और हिंसा ने लाखों लोगों को अपने घर से विस्थापित किया और लाखों की संख्या में जाने चली गई।
श्री चोधरी ने कहा कि अखंड भारत के आजादी के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख को आंसुओ से लिखकर रक्त रंजित कर दी गई और देश का विभाजन हो गया। यह दिन भारत के लोगों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। हर भारतीय को इस दिन याद रखना चाहिए। हमारी लाखों बहनें और भाई विस्थापित हो गए थे और कई लोगों ने बेवजह नफरत के कारण अपनी जान गंवा दी थी, उन्हें विभाजन के दौरान यातना-पूर्ण व्यवहार और हिंसा का सामना करना पड़ा था। विभाजन का दर्द और उस दौरान हुई हिंसा देश की स्मृति में आज भी गहराई से अंकित है।
1857 के स्वातंत्र्य समर से धधकी राष्ट्रवाद की ज्वाला ने अग्रेजों को सिंहासन के नीचे दबे ज्वालामुखी को अहसास करा दिया था और यहीं से अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति प्रारम्भ हुई। 30 दिसम्बर 1906 को घोर साम्प्रदायिक संगठन मुस्लिम लीग का गठन हुआ। मुस्लिम लीग ने अपने जन्म से ही पृथकतावादी नीति को अपनाया तथा भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं का विरोध किया। कांग्रेस द्वारा मुस्लिम लीग की शर्तों को स्वीकार करने तथा शर्तों के आगे घुटने टेकने से मुस्लिम लीग का मनोबल लगातार बढ़ा था। लाहौर, पठानकोट और बंगाल से लाखों संपन्न परिवार शरणार्थी के रूप में इस खंडित भारत के अंदर धीरे-धीरे आगे बढ़ते जा रहे थे। उन्हें अपने प्राणों का भय था। जीवन भर कमाई और चल-अचल संपत्ति को पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान में छोड़कर भागने की मर्मांतक पीड़ा थी।
अंग्रेजों की उत्तराधिकारी होने के कारण कांग्रेस यह गलतफहमी पाले हुए थी कि जब अंग्रेज विदेशी होते हुए भी मात्र दो समूहों को एक दूसरे से लड़ाकर दो सौ साल तक राज कर सकते हैं तो हम स्वदेशी होते हुए दो हजार साल तक राज क्यों नहीं कर सकते? आज जो कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की ध्वजवाहक बनने का ढोंग करती है, उसी कांग्रेस ने कई साम्प्रदायिक कानूनों को पारित करवाने में अंग्रेजों की सहायता की थी।