वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार
लखनऊ। भारतीय सेना के डॉक्टरों, जिनमें लखनऊ स्थित कमांड अस्पताल के विशेषज्ञ भी शामिल थे, ने पश्चिम बंगाल के बागडोगरा स्थित 158 बेस अस्पताल में आयोजित अत्याधुनिक नेत्र चिकित्सा शिविर के दौरान 350 से अधिक मोतियाबिंद सर्जरी कीं। इस शिविर में सेना अस्पताल (अनुसंधान एवं रेफरल), नई दिल्ली और बेस अस्पताल, दिल्ली कैंट के डॉक्टरों सहित एक विशेष चिकित्सा दल ने 1,752 पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों की विभिन्न नेत्र समस्याओं, विशेष रूप से मोतियाबिंद, की जांच की। शिविर के दौरान 500 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाले चश्मे भी निःशुल्क वितरित किए गए। उन्नत उपकरणों और उच्च गुणवत्ता वाले लेंसों के उपयोग से यह सुनिश्चित किया गया कि मरीजों को सर्वोत्तम उपचार मिले। यह रक्षा मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में लागू किया जा रहा है।
शिविर की सबसे खास बात नेपाल से आए पूर्व सैनिकों का नेत्र उपचार रहा। कुल 17 पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों की नेत्र संबंधी बीमारियों की जांच की गई, जिनमें से कुछ की निःशुल्क मोतियाबिंद सर्जरी भी की गई, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले लेंसों का उपयोग किया गया। इस पहल का नेतृत्व सेना अस्पताल (अनुसंधान एवं रेफरल), नई दिल्ली के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष और प्रसिद्ध नेत्र सर्जन ब्रिगेडियर संजय कुमार मिश्रा ने किया। ब्रिगेडियर मिश्रा अब तक एक लाख से अधिक सफल मोतियाबिंद, विट्रियरेटिनल, अपवर्तक (रेफ्रैक्टिव) और ग्लूकोमा सर्जरी कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि यह शिविर उन पूर्व सैनिकों के लिए विश्वस्तरीय उपचार लेकर आया, जिन्होंने अपना जीवन देश सेवा में समर्पित किया है। यह शिविर पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और नेपाल तक फैले हिमालय की तलहटी में बसे सैनिकों और उनके परिवारों को निःशुल्क नेत्र उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया गया कि पूर्व सैनिकों को इलाज के लिए दूर जाने की आवश्यकता न पड़े।
शिविर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के निर्देशानुसार पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के अनुरोध पर आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में पूर्व सैनिकों को उच्च गुणवत्ता वाली नेत्र चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना था। यह पहल भारतीय सेना की पूर्व सैनिकों को बेहतरीन चिकित्सा सेवा प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, विशेष रूप से त्रिशक्ति कोर के प्रयासों के माध्यम से, जो देश की सेवा करने वाले वीरों और उनके परिवारों की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कार्यरत है।
