अजय कुमार
लखनऊ/नई दिल्ली। प्रमोद तिवारी, सांसद, उप नेता राज्य सभा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मित्र अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से कितना बड़ा समझौता किया है उसका एक नमूना सामने आया है। राष्ट्रीय सुरक्षा और सरहदों की रक्षा के मद्देनजर भारत- पाकिस्तान बाॅर्डर से 10 किलोमीटर तक मौजूदा गांवों और सड़कों को छोड़कर किसी भी बड़े निर्माण की अनुमति नही दी गयी है । लेकिन मोदी मित्र अडानी कच्छ के क्षेत्र में भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 1 किलोमीटर दूरी पर एक बहुत बड़े सोलर और विंड पाॅवरप्लांट का निर्माण करा रहे हैं।
श्री तिवारी ने कहा है कि असल में हुआ ऐसा कि गुजरात के कच्छ क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी SECI को गुजरात सरकार ने एक नवीकर्रीिय ऊर्जा पार्क के लिए 23,000 हेक्टेयर भूमि आवंटित की थी, लेकिन एक बाधा थी SECI को आवंटित जमीन भारत-पाकिस्तान सीमा के काफी करीब थी, और वहाँ रक्षा प्रतिबंधों का मतलब था कि उस जमीन पर केवल विंड टरबाइन ही बन सकता था, सोलर पैनल नहीं लग सकता था.SECI का कहना था कि इन बंदिशों की वजह से यह परियोजना होने में दिक्कत है। बस फिर क्या था, अप्रैल 2023 में गुजरात के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख कर इस मामले को रक्षा मंत्रालय के साथ उठाने को कहा। श्री तिवारी ने बताया कि इस संदर्भ में गुजरात सरकार के सोलर और विंड प्रस्ताव पर चर्चा के लिए दिनांक- 21 अप्रैल 2023 को दिल्ली में एक गोपनीय सरकारी बैठक बुलाई गई, जिसमें सैन्य संचालन महानिदेशक, गुजरात और न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्र्जी मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा SECI ने भी भाग लिया।
श्री तिवारी ने कहा है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर ट®क मूवमेंट और सुरक्षा निगरानी में सोलर पैनलों से दिक्कतें आने की “आशंकाएं” जताई गईं थी किन्तु डेवलपर्स ने आश्वासन दिया कि “दुश्मन की ट®क गतिविधियों को देखने में सोलर पैनल बाधा नहीं बनेंगे’’। और सोलर पैनल के साइज में बदलाव की सैन्य अधिकारियों के अनुरोध को डेवलपर्स ने खारिज कर दिया था। बैठक के अंत में, रक्षा मंत्रालय ने सोलर पैनलों को 2 किमी और विंड टरबाइनों को पाकिस्तान से 1 किमी के करीब बनाने की अनुमति दे दी, दिनांक 8 मई 2023 तक मोदी सरकार ने इस फैसले को औपचारिक रूप भी दे दिया था । यही नहीं, नियमों में परिवर्तन के लिए सभी मंत्रालयों को एक अधिसूचना जारी की गई, और फिर हुआ खेल SECI की सभी चिंताओं के निवार्र िके बावजूद 3 महीने बाद, कंपनी ने नवीकर्रीिय ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर जमीन वापस कर दी। इसके बाद गुजरात सरकार ने इसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए आरक्षित करने के अपने पहले के फैसले को पलटा और इसे अडानी को आवंटित कर दिया।
श्री तिवारी ने कहा कि इस तरह केन्द्र की मोदी सरकार और गुजरात की भा.ज.पा सरकार ने पूरी साँठ गाँठ से साजिश रचकर, सारे नियम कानून बदल कर जमीन अंततोगत्वा अडानी को सा®प ही दी। और कमाल की बात यह है कि नियम में राहत न केवल भारत-पाकिस्तान सीमा पर, बल्कि बांग्लादेश, चीन, म्यांमार और नेपाल से सटी सरहद पर भी कर दी गई। इतना बड़ा राजनैतिक फैसला जो कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है- वो सिर्फ अडानी को सस्ती जमीन देने के लिये किया गया।
श्री तिवारी ने कहा है कि सीमा सुरक्षा के मानदंडों और नियमो में बदलाव करके प्रधानमंत्री ने हमारी भू भागीय अखंडता के साथ भद्दा मजाक किया है।
