– वर्तमान केन्द्र सरकार को १७ मार्च तक का अन्तिम अवसर, सुनवाई न होने पर सनातनी हिन्दू लेंगे कड़ा निर्णय – शङ्कराचार्य
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार
प्रयागराज। तीर्थराज प्रयाग की इस पावन भूमि में कुम्भ महापर्व, ३२४ कुण्डीय पञ्चायतन श्री गौ-प्रतिष्ठा महायज्ञ और परमधर्मसंसद् के सफल आयोजन के साथ अब पूर्णता की ओर है। भारत की धरती पर गौमाता का रक्त बहे यह हम सभी सनातनी गौभक्तों के माथे पर एक बड़ा कलंक है। लेकिन गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करने हेतु केन्द्र सरकार द्वारा की जा रही देरी अब असहनीय हो रही है। वर्तमान केन्द्र सरकार को १७ मार्च तक का अन्तिम अवसर है, सुनवाई न होने पर सनातनी हिन्दू कड़ा निर्णय लेने के लिए बाध्य होंगे, उक्त बातें प्रेस वार्ता के दौरान जगद्गुरू शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने कही।
जगद्गुरू शङ्कराचार्य ने पत्रकारों का अभिनंदन करते हुए कहा कि कुम्भ महापर्व से निकले अमृत को जन सामान्य तक पहुँचाने में यथासामर्थ्य योगदान किया। उन्होंने अपने आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा घोषित किया। उन्होंने कहा कि १७ मार्च को गौ प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस होगा। जब देश में दूसरे दलों की सत्ता थी तो उनसे आशा नहीं की जा सकती थी परन्तु अब जब देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं की सत्ता पिछले दस वर्षों से है तो ऐसे में इनसे आशा हो जाना स्वाभाविक है। हमारे द्वारा गौ माता के लिए किया जा रहा यह आन्दोलन कोई नया नहीं है। वर्ष 1966 में धर्मसम्राट् स्वामी करपात्री पर गोली चलने के बाद जो आन्दोलन रुक गया था उसी को पुनः गति देने का प्रयास सभी हिन्दुओं सहित देश के अन्य पीठों के शङ्कराचार्यों की भी दृढ भावना होने के कारण हम कर रहे हैं। गाय को अघ्न्या कहा गया है अर्थात् गाय की हत्या किसी भी दशा में नहीं की जा सकती। ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा भारत की धरती से गौमांस का निर्यात् हम सभी गौभक्तों के मन को अत्यन्त पीड़ा पहुँचा रहा है। अतः सभी गौभक्त सन्तों से चर्चा के उपरान्त यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र सरकार को अंतिम अवसर प्रदान कर 17 मार्च 2025 तक प्रतीक्षा कर रहे है कि वह गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने, गो हत्या बंद करने के कार्य को पूरा करे अन्यथा लगभग ५०० दिन की प्रतीक्षा के बाद भी यदि केंद्र सरकार गौमाता पर हिंदू धर्म आस्था को गौण कर उदासीन बनी है रहेगी तो एक बड़ा निर्णय गो प्रतिष्ठा निर्णय दिवसके दिन लिया जाएगा। आगामी 17 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक गौ-प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस का आयोजन किया जाएगा। यह केन्द्र सरकार के लिए अन्तिम अवसर होगा। भारत बहुसंख्यक हिन्दुओं का देश है इसलिए बहुसंख्यक हिन्दुओं की भावना का ध्यान रखना और तदनुकूल कार्य करना केन्द्र सरकार का दायित्व भी है।
हाल ही में यह सूचना प्राप्त हुई है कि उत्तर प्रदेश की सरकार पाठ्यक्रम में गाय के विषय की स्थापित करने पर विचार कर रही है। हम उनके इस कार्य की सराहना तब कर सकते हैं जब वे हमारे बच्चों को यह पढाए कि गाय पशु नहीं, माता है। इसलिए हमारा कहना है कि पहले मुख्यमन्त्री आदित्यनाथ योगी जी गाय को उत्तर प्रदेश की राज्यमाता घोषित करें और उसके बाद ही पाठ्यक्रम में गाय का पाठ सम्मिलित करें।
