वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
नई दिल्ली 24 अक्टूबर। इस वक्त भारत सहित दुनिया के बाजार एक अजीब सी स्थिति में खड़े हैं। ऐसा हो सकता है कि आपके पास पैसा हो और आप इस वक्त अपनी पसंद की कार नहीं खरीद पाएं। कुछ ऐसा ही हाल कंप्यूटर से लेकर स्मार्टफोन के बाजार में भी आपको देखने को मिल सकता है। इतना ही नहीं, यह भी संभव है कि पैसे का भुगतान करने के बावजूद आपको जरूर मेडिकल उपकरण भी समय पर न मिले। दरअसल, इस वक्त पूरी दुनिया एक खास तरह की चीज, जिसे सेमिकंडक्टर कहा जाता है, उसकी भारी कमी से जूझ रही है। इसी सेमिकंडक्टर की बदौलत आज की दुनिया दौड़ रही है। दुनिया में जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उप्पाद हैं या जिन चीजों में इलेक्ट्रॉनिक्स का इस्तेमाल होता है वे सभी संकट की दौर से गुजर रहे हैं। इस कारण देश में त्योहारी सीजन में भी बाजार में ऐसे उत्पाद नहीं मिल रहे हैं।
दरअसल, कोरोना महामारी ने बीते साल से पूरी दुनिया में सप्लाई चेन को पटरी से उतार दिया। वैश्विक स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग के हब कहे जाने वाले देशों चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के साथ वियतनाम और जर्मनी जैसे देश कोरोना से बुरी तरह प्रभावित रहे। इन देशों में उत्पादन पर भारी असर पड़ा और इस कारण वैश्विक स्तर पर सप्लाई प्रभावित हुई। इस बीच कोरोना काल में कार और अन्य वाहनों की बिक्री घट गई तो कंपनियों ने सेमिकंडक्टर खरीदना कम कर दिया, वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के दौरान पूरी दुनिया में लौपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई। इस कारण सेमिकंडक्टर का एक बड़ा हिस्सा इन क्षेत्रों को जाने लगा, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने और उद्योगों के फिर से पटरी पर आने के कारण ऑटोमोबाइल सेक्टर में सेमिकंडक्टर की मांग अचानक फिर बढ़ गई, इस तरह पूरी दुनिया में इस सेमिकंडर की सप्लाई चेन गड़बड़ा गई। अब जानकार कह रहे हैं कि यह समस्या बहुत जल्दी ठीक नहीं होने जा रही, क्योंकि सेमिकंडक्टर बनाना एक जटिल काम है और दुनिया की कुछ चुनिंदा कंपनियां ही इसे बनाती हैं। इसका रातों-रात उत्पादन बढ़ाने का कोई भी जादुई तरीका नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2023 तक बाजारों को इस चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
वैश्विक स्तर पर चिप संकट की वजह से भारत भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारत में चिप का निर्माण नहीं होता। हम इसके लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर हैं। चिप की कमी के कारण इस वक्त बाजार में कार से लेकर लैपटॉप तक हर चीज की कमी चल रही है। प्रमुख कार निर्माता कंपनियां जैसे मारुति, हुंदई और महिंद्रा अपने ग्राहकों को समय पर डिलिवरी नहीं दे पा रही हैं।
भारतीय बाजार में सितंबर का महीना त्योहारी सीजन के लिहाज से सबसे अहम होता है लेकिन इस महीने में देश की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों को अपना उत्पादन करीब-करीब आधा करना पड़ा। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी ने सितंबर में अपने उत्पादन में 60 फीसदी तक की कटौती की। वहीं महिंद्रा एंड ने कहा कि उसे अपने उत्पादन में 20 से 25 फीसदी की कमी करनी पड़ी।
आप इस संकट का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि देश में पांच लाख से अधिक कारों की डिविवरी पेंडिंग हैं। इसमें अकेले मारुति के कारों की संख्या 2.15 लाख से अधिक हैं। वहीं हुंदई एक लाख से अधिक कारों की बुकिंग ले चुकी है लेकिन उसके पास सप्लाई के लिए गाडिय़ां नहीं हैं। यही हाल कीया, निशान और टोयोटा की गाडिय़ों के साथ है।
इस समय मारुति की एक सबसे लोकप्रिय हैचबैक कार स्विफ्ट की वेंटिंग 3 माह है, वहीं हुंदई की आई20 की वेटिंग 4-5 महीने की है। एसयूवी में ब्रेजा की वेटिंग तीन माह तो हुंदई की क्रेटा के लिए आपको 6 से 7 महीने तक इंतजान करना पड़ सकता है।
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