-अंगदान की प्रतिज्ञा से समाज में जागरूकता फैलाने का प्रयास
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। हमारे देश में महर्षि दधिचि हुए हैं, जिन्होंने देवताओं के कल्याण के लिए ना केवल अपना देह त्याग किया था बल्कि इस शरीर का इस्तेमाल करने की अनुमति भी उन्हें दी थी। मृत्यु के बाद देवताओं ने उनकी अस्थियों से वज्र बनाया और इससे वो असुरों का संहार कर सके। दरअसल मृत्यु के बाद हमारे शरीर के अंगों से बहुत से लोगों का कल्याण हो सकता है, लिहाजा अंगदान अब महादान कहा जाता है हमारे देश में कुछ शख्सियतों ने अपने निधन के बाद अपने शरीर को मेडिकल कॉलेज और अस्पतालो को दान में दे दिया, जिससे ना केवल जरूरतमंदों को उनके अंग लगाए जा सकें बल्कि ये मेडिकल रिसर्च में भी काम आ सके।
हालांकि हमारे देश में मृत्यु के उपरांत देह दान बहुत कम किया जाता है। लखनऊ के प्रसिद्ध समाजसेवी व रंगकर्मी भइया जी ने भी अपनी देह का दान किया था। बरिगवां, निकट लोकबंधु हॉस्पिटल, कानपुर रोड लखनऊ निवासी संघर्षशील समाजसेविका सरिता यादव पत्नी देशराज यादव (सम्पर्क सूत्र 9450111018, 9935999978) ने भी अपने जीते जी ही देहदान करने की इच्छा जताकर अपने परिजनों को बताया और मरने के बाद मेडिकल कॉलेज को अपनी बॉडी को दान देने कर दिया है। सरिता यादव ने कहा कि सन् 2017 से ही यह उनकी इच्क्षा थी कि उनके मृत शरीर का क्रियाकर्म करने की बजाए परिजन उनके शरीर को मेडिकल कॉलेज लखनऊ के सुपुर्द कर दें। “हमारी अंतिम इच्छा है कि मृत्यु भोज हमें बिल्कुल पसंद नहीं, इसलिए शरीर मेडिकल कॉलेज लखनऊ को सुपुर्द करने के बाद मेरे नजदीकी समेत रिश्तेदार मेरे बेटे व परिवार पर मृत्यु भोज करने का दबाव न बनाएं।”
सरिता यादव के एकलौते बेटे ने कहा कि मृत्यु के बाद भी उनकी मां की देह किसी के काम आए, इसके लिए उन्होने देह दान करने का संकल्प लेते हुए रजिस्ट्रेशन कराया है। मां की खुशी के लिए उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करना हमारा परम कर्तव्य है, समाज सेवा का ऐसा जज्बा हमें भी गौरांवित कर रहा है।
बताते चलें कि सरिता यादव समाजवादी पार्टी की कर्मठ सदस्या हैं। और इन्होंने सम्पूर्ण जीवन पार्टी की सेवा में लगा दिया है।
