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होम क्रेडिट इंडिया ने जारी किए “हाउ इंडिया बोरोज” के निष्कर्ष, साथ ही उपभोक्ताओं को बेइज्जत व परेशान करने की प्रवृत्ति में भी वृद्धि

– छोटे से लेकर बड़े शहरों में ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ़ी, लखनऊ में आनलाइन की जगह शाखाओं से ऋण लेने को वरीयता
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ, 18 अक्टूबर। देश भर के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी निम्न मध्यम आयवर्ग के उपभोक्ताओं में ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। इस आय वर्ग के लोग कन्ज्यूमर ड्यूरेबल से लेकर अपना खुद का व्यवसाय तक करने के लिए ऋण ले रहे हैं। इसके चलते जहां स्मार्टफोन और घरेलू उपकरणों की खरीद बढ़ी है वहीं व्यवसाय को आगे बढ़ाने व स्टार्ट अप के लिए भी इसका उपयोग किया जा रहा है।
होम क्रेडिट इंडिया, अग्रणी वैश्विक कंज्यूमर फाइनेंस प्रदाता कंपनी की स्थानीय शाखा ने आज अपने वार्षिक उपभोक्ता अध्ययन हाउ इंडिया बोरोज के निष्कर्षों को जारी किया। अध्ययन के मुताबिक लखनऊ जैसे शहरों में 73 फीसदी लोग आनलाइन की जगह खुद शाखाओं में जाकर ऋण लेना पसंद करते हैं। वहीं लखनऊ में 68 फीसदी लोग खरीददारी के लिए एम्बेडेड फाइनें को अपना रहे हैं। हाउ इंडिया बोरोज 2024 अध्ययन दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, भोपाल, पटना, रांची, चंडीगढ़, लुधियाना, कोच्चि और देहरादून सहित 17 शहरों में आयोजित किया गया था। इसका सैंपल साइज 18-55 वर्ष की आयु वर्ग के लगभग 2500 उधार लेने वालों का था, जिनकी औसत आय प्रति माह ₹31,000 थी।
होम क्रेडिट इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी, आशीष तिवारी, ने छठे उपभोक्ता अध्ययन पर बोलते हुए कहा “हमारा नवीनतम हाउ इंडिया बोरोज 2024 अध्ययन निम्न-मध्यम वर्ग के ऋण लेने वालों के बीच ऋण लेने के व्यवहार में एक परिवर्तनकारी बदलाव को उजागर करता है।
    भारत में निम्न-मध्यम वर्ग के ऋण लेने वालों के बीच ईएमआई कार्ड सबसे लोकप्रिय क्रेडिट उपकरण बने हुए हैं, अध्ययन में ऋण प्राप्ति पैटर्न में एक बढ़ते बदलाव को देखा गया, जिसमें 48ः ऋण लेने वालों ने शाखाओं का भौतिक दौरा करने का विकल्प चुना, जो आमने-सामने बातचीत की स्थायी पसंद को रेखांकित करता हैै। महानगरीय शहरों में ऋण लेने वाले तेजी से ऑनलाइन चैनलों की ओर झुक रहे हैं। इतना होने के बाद भी होम क्रेडिट अपने उपभोक्ताओं के साथ अत्यंत क्रूरता का व्यवहार करता है। जिसका एहसास ऋण लेने वाले उपभोक्ता को बाद में होता है। लेकिन ऋण लेने की सामाजिक षर्म या बेइज्जत होने के डर से वह किसी से कुछ कह नहीं पाता ओर इसका फायदा होम क्रेडिट जैसी कम्पनियां खुब फायदा उठाती हैं, यहां तक कि इनके आफिस स्टाफ अपने उपभोक्ताओं को बेइज्जत करने के साथ ही साथ बहुत ही गंदा व्यवहार करते हैं। कम्पनी स्टाफ का टार्चर देखकर उपभोक्ता आत्महत्या तक का विचार बना लेते हैं। नतीजतन उपभोक्ता दोबारा इन कम्पनियों से लोन लेने से तौबा कर लेता है।

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