– 9 अगस्त से शुरू होंगे वाहन जत्थे, 3 नवंबर को दिल्ली में होगी रैली
वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 25 मई। केंद्र सरकार से लगातार पुरानी पेंशन बहाली, रेगुलराइजेशन, निजीकरण पर रोक लगाने व खाली पड़े लाखों पदों को भरने जैसी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा की भाजपा हिमाचल व कर्नाटक में मिली हार से सबक लें और महासंघ की उपरोक्त न्यायोचित मांगों पर गंभीरता से गौर करें।
महासंघ ने आगाह किया है कि अगर उक्त मांगों की अनदेखी जारी रही तो इस साल होने वाले विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा को कर्मचारियों एवं उनके परिजनों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। यह चेतावनी देते हुए महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि कर्मचारियों के निरंतरता में चल रहे आंदोलन के कारण पुरानी पेंशन बहाली अब प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन चुका है और इसके चुनावों में परिणाम भी स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि कर्मचारियों को पीएफआरडीए एक्ट में कोई संशोधन मंजूर नहीं है। कर्मचारी पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली से कम पर सहमत नहीं हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा, पूर्व उपाध्यक्ष एसपी सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष कमल अग्रवाल, महासचिव अशोक सिंह, सचिव पुनीत त्रिपाठी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अफीफ सिद्दीकी व निधि, उत्तर प्रदेश फेडरेशन आफ मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिवाकर सिंह, संयुक्त परिषद के महामंत्री बुद्धि राम विनोद कनोजिया, कृषि विभाग के अध्यक्ष व महामंत्री धर्मेन्द्र प्रताप सिंह व हेमंत सिंह खड़का, स्थानीय निकाय के प्रदेश अध्यक्ष संदीप पाण्डे, पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरनाथ यादव व महामंत्री ओ पी त्रिपाठी, त्रिवेदी प्रसाद खरवार, देवेन्द्र यादव मौजूद थे।
उन्होंने सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ व अन्य कर्मचारी संगठनों के साथ बातचीत न करने की भी घोर निन्दा की और अविलंब कर्मचारियों की लंबित मांगों पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की।
उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा ने कहा कि अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ और कनफरडेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स ने कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन के लिए कमर कस ली है। उन्होंने कहा कि मई से जन संपर्क अभियान चला हुआ है और 27 जून को देशभर में जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे और मांगों के ज्ञापन प्रधानमंत्री व वित्तमंत्री को भेजें जाएंगे। इसके साथ ही जून व जुलाई में सभी जिलों, तहसील, ताल्लुक में कर्मचारियों के संयुक्त सम्मेलन किए जाएंगे और कर्मचारियों को निर्णायक आंदोलन की तैयारी का आह्वान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अभियान में आठवें वेतन आयोग का गठन करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं विभागों के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने, केन्द्र एवं राज्यों में 60 लाख से ज्यादा रिक्त पड़े पदों को पक्की भर्ती से भर बेरोजगारों को रोजगार देने नेशनल एजुकेशन पालिसी को रद्द करने , ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों को सुनिश्चित करने, बदले की भावना से केन्द्रीय पोस्टल एम्पलाइज की एसोसिएशन व यूनियन की रद्द की गई मान्यता को बाहल करने , एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाकर मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी देने आदि मांगों को भी प्रमुखता से उठाया जाएगा।
ज्ञात हो कि महासंघ भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी 9 अगस्त को सभी राज्यों में एक साथ कर्मचारियों के सैकड़ों वाहन जत्थे शुरू करेगा। यह जत्थे “रीच टू ईच” नारे के साथ सभी महानगरों, शहरों, कस्बों में कर्मियों के कार्य स्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर सभाएं करेंगे और जन संपर्क अभियान चलाते हुए 3 नवंबर को दिल्ली में पहुंचेंगे, वहां विशाल कर्मचारी रैली आयोजित की जाएगी। इस रैली में बैंक, बीमा, डिफेंस, रेलवे आदि कर्मचारी संगठनों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
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