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लखनऊ विश्वविद्यालय का 64वां दीक्षान्त समारोह सम्पन्न

– छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय के पुराने छात्र-छात्राओं से उनके सफलता के अनुभवों को जाने – श्रीमती आनंदीबेन पटेल
वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 26 नवम्बर। विद्यार्थी निरंतर अनुशासन के साथ जीवन में आगे बढ़ें, विश्वविद्यालय से प्राप्त ज्ञान का उपयोग व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज तथा राष्ट्र के विकास के लिये करें। विद्यार्थी जिस भी क्षेत्र में रहें, दुनिया के किसी भी हिस्से में रहें, जीवन मूल्यों का हमेशा पालन करें। ये विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के 64वें दीक्षांत समारोह में व्यक्त किये।
राज्यपाल ने कहा कि किसी भी राष्ट्र अथवा सभ्यता का विकास उसके शिक्षा केन्द्रों में होता है। विशेष रूप से विश्वविद्यालय राष्ट्र की सतत् विकासशील, चिन्तनशील-वैश्विक संवेदना एवं सम्पन्न अन्तर-आत्मा के प्रतीक हैं। राज्यपाल ने 15 विद्याार्थियों को समारोह में स्वयं पदक देेकर तथा नई शिक्षा नीति के तहत पहली बार पोस्ट ग्रेजुएट दो विद्यार्थियों को पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति को लागू कर राष्ट्र का प्रथम विश्वविद्यालय बनने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रशंसा की। राज्यपाल ने कहा विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले अनेक विद्यार्थियों ने सामाजिक, साहित्यिक, राजनीतिक, शिक्षा जगत सहित विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है और विश्वविद्यालय की प्रसिद्धी को उच्च आयाम तक पहुंचाया।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे जल-संरक्षण, वृक्षारोपण, डिजिटल लेन-देन को प्राथमिकता दें, साथ ही टवबंस वित स्वबंस के तहत ज्यादा से ज्यादा स्थानीय उत्पादों को खरीदें।
इस अवसर राज्यपाल ने लखनऊ विश्वविद्यालय के मोबाइल एप, महिला व पुरूष सामुदायिक प्रसाधन केन्द्र, 17 ओपेन एअर जिम, वाटर कूलर, सेनेट्री वेन्डिंग मशीन व इन्सेनिरेटर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आवास भवन, शिक्षा संकाय में स्थापित लिफ्ट, राष्ट्रीय सेवा योजना विस्तार भवन, मानव शास्त्र विभाग में स्थापित उत्तर प्रदेश के प्रथम जनजातीय संग्रहालय का लोकार्पण किया। राज्यपाल ने लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिये गये बच्चों को पोषण युक्त आहार किट, स्कूली बैग आदि भेंट किया।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आलोक कुमार राय ने अपने सम्बोधन में विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर संक्षिप्त प्रकाश डाला।

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