वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार
हिंदी-भोजपुरी के प्रख्यात शायर मनोज भावुक के गजल बसंत आया, पिया न आये का म्यूजिक वीडियो श्रोताओं का दिल जीत रहा है। निर्माता और निर्देशक आश्विन महाराज ने इसे महाराजा म्यूजिक के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है। बसंत के जीवंत मौसम के साथ प्रेम और स्नेह की चाहत को दर्शाने वाला यह गीत रोमांस और पुरानी यादों को खूबसूरती से समेटे हुए है।
निर्देशक अश्विनी महाराज, संगीत निर्देशक सतीश त्रिपाठी, गीतकार मनोज भावुक, गायिका दिव्यांशी मौर्य, कलाकार ज्योत्स्ना गुप्ता व डीओपी नवीन कुमार की रचनात्मकता से सजा यह वीडियो बसंत के मौसम में संगीतप्रेमियों के लिए एक शानदार तोहफा है। इस गजल के बारे में शायर मनोज भावुक अपने सोशल मीडिया ( फेसबुक वॉल) पर लिखते हैं –
साल 2005 …युगांडा में था मैं। डॉ. पूर्णिमा वर्मन की शारजहाँ से ऑनलाइन पत्रिका अभिव्यक्ति-अनुभूति की धूम थी साहित्य जगत में। तब एक प्रतियोगिता हुई थी जिसमें समस्यापूर्ति के अंतर्गत कविता लिखने के लिए एक टॉपिक दिया गया था – बसंत आया। फिर मैंने गजल कही – बसंत आया, पिया न आये। इस गजल को प्रथम स्थान मिला। अशोक चक्रधर निर्णायक मंडल में थे। उसके पहले गुनगुनी धूप और खिलने दो खुशबू पहचानो टॉपिक में भी मेरी रचनाओं को सराहा गया था। तब से लेकर आज तक अनगिनत बार अनेक मंचों से मैंने बसंत आया, पिया न आये का पाठ किया। काव्य-मंचों व कवि-सम्मेलनों में भी, टेलीविजन कार्यक्रमों में भी। कल ही प्रख्यात कवि बुद्धिनाथ मिश्र के सानिध्य में विश्व पुस्तक मेला में भी। अब इस गजल के वीडियो को लोगों का प्यार मिल रहा है तो और अच्छा लग रहा है।
गजल:
बसंत आया, पिया न आए, पता नहीं क्यों जिया जलाए
पलाश-सा तन दहक उठा है, कौन विरह की आग बुझाए।
हवा बसंती, फिजा की मस्ती, लहर की कश्ती, बेहोश बस्ती
सभी की लोभी नजर है मुझपे, सखी रे अब तो ख़ुदा बचाए।
पराग महके, पलाश दहके, कोयलिया कुहुके, चुनरिया लहके
पिया अनाड़ी, पिया बेदर्दी, जिया की बतिया समझ न पाए।
नजर मिले तो पता लगाऊँ की तेरे मन का मिजाज क्या है
मगर कभी तू इधर तो आए नजर से मेरे नजर मिलाए।
अभी भी लम्बी उदास रातें, कुतर-कुतर के जिया को काटे
असल में ‘भावुक’ खुशी तभी है जो जिंदगी में बसंत आए।
मनोज भावुक