वेबवार्ता (न्यूज़ एजेंसी)
नई दिल्ली 19 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए तीनों कृषि बिल वापस लेने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री ने बहुत भावुक होते हुए कहा कि हमने किसानों के हित में बहुत सारे कार्य किए लेकिन हमारे कुछ किसान भाइयों का इस कृषि बिल का विरोध था इस वजह से हमारी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि यह कानून पूरी सत्य निष्ठा, किसानों के प्रति समर्पण भाव और नेक नियत से विशेष रूप से छोटे किसानों के कल्याण के लिए कृषि क्षेत्र के हित में गांव गरीबों के उज्जवल भविष्य के लिए लाया गया था। लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप किसानों के हित की बात हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए। उन्होंने आगे कहा, इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। प्रधानमंत्री ने कहा, आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।पवित्र गुरुपर्व के वातावरण में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन किसी को दोष देने का नहीं है, किसानों के कल्याण के लिए काम करने के लिए स्वयं को समर्पित करने का दिन है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की। उन्होंने शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न बदलने और एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की। समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
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