वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। वायु प्रदूषण अधिकांश दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में बीमारियों में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में से एक है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD 2021) के हालिया रिपोर्ट में, भारत में लगभग 2.1 मिलियन असामयिक मृत्यु तथा 60 मिलियन विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (DALY) वायु प्रदूषण के कारण थे। ये वक्तव्य प्रोफेसर कल्पना बालकृष्णन, डीन ( REACHARCH) तथा निदेशक, विश्व स्वास्थ्य संगठन सहयोगी केंद्र, व्यावसायिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य, ICMR फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन एयर क्वालिटी, क्लाइमेट एंड हेल्थ, रामचंद्र इंस्टीट्यूट फॉर हायर एजुकेशन एंड रिसर्च, चेन्नई द्वारा दिए गए। CSIR भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (CSIR-IITR) में आयोजित चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विषविज्ञान सम्मेलन इमरजिंग अप्रोचेस इन रिस्क एनालिसिस एंड ट्रांसलेसनल आस्पेक्ट्स ऑफ हेल्थ एंड एनवायरनमेंट (अर्थ- 2024)’ के उद्घाटन समारोह में मुख्य संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि अब ऐसे साक्ष्य बढ़ रहे हैं जो यह दर्शाते हैं कि उच्च रक्तचाप, बाल तथा मातृ कुपोषण सहित खराब स्वास्थ्य के लिए वायु प्रदूषण एक प्रमुख कारक है।
डॉ. देबब्रत कानूनगो, पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने असोशिएशन ऑफ टोक्सिकोलोजिस्ट्स एंड रिस्क असेसर्स (ASTRA) की स्थापना के उपलक्ष्य में एस्ट्रा वेलकम किट जारी किया। इसके बाद कनाडा के लावल विश्वविद्यालय, क्यूबेक के खाद्य विज्ञान विभाग के प्रोफेसर सैमुअल गोडेफ्रॉय और डॉ. देवब्रत कानूनगो को एस्ट्रा (ASTRA) की मानद फैलोशिप की प्रस्तुति दी गई।
डॉ. अनंत कोपर, CEO, कुशाग्रामति एनालिटिक्स एवं प्रबंध निदेशक ने अर्थ- 2024 के वैज्ञानिक कार्यक्रम को जारी किया और कहा कि कार्यक्रम के लिए चुने गए विषय पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए रिस्क अनालिसिस तथा मिटिगेशन मेथड्स के बहुआयामी दृष्टिकोण वर्तमान परिदृश्य में बहुत उपयुक्त हैं। सम्मेलन के सम्मानित अतिथि पद्म प्रो. वी. के. सिंह, अध्यक्ष CSIR भर्ती एवं मूल्यांकन बोर्ड ने अर्थ 2024 की स्मारिका पुस्तक का विमोचन किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि जहां ट्रेडिशनल रिस्क अस्सेस्मेंट अक्सर सिंगल रिस्क फैक्टर्स पर केंद्रित होते हैं, वहीं वर्तमान रणनीति एक अधिक समग्र सिस्टम – आधारित दृष्टिकोण विकसित करने की है, जो अनेक पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम कारकों को ध्यान में रखता है।
मुख्य अतिथि डॉ. अशोक कुमार मित्तल, सांसद, राज्यसभा तथा कुलाधिपति, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब ने वैज्ञानिकों से नए मॉडल विकसित करने का आह्वान किया, जो पर्यावरणीय परिवर्तनों के भविष्य के प्रभावों को टिकाऊ तरीके से समझने के लिए जलवायु अनुमानों को स्वास्थ्य जोखिम आकलन में एकीकृत करते हैं। उन्होंने अर्थ 2024 स्मारिका का भी विमोचन किया तथा सम्मेलन का उदघाटन किया।
डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, CSIR-IITR ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अपने हीरक जयंती वर्ष में संस्थान सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक कारकों को एकीकृत करने तथा स्वास्थ्य दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो मानव और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अंतर्संबंध को मान्यता देता है। चार दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए चयनित विषयों पर वर्तमान ज्ञान और भविष्य के परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डालना है। उन्होंने कहा कि यह वैज्ञानिक सम्मेलन दुनिया भर में कार्यरत विभिन्न विषयों के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को एक साथ लाएगा, ताकि वे उभरते प्रदूषकों के विषविज्ञान / जोखिमों तथा मानव स्वास्थ्य और सुरक्षित पर्यावरण पर उनके प्रभावों को समझा जा सके। इसके अलावा, यह सम्मेलन वैज्ञानिकों और युवा शोधार्थियों को विषविज्ञान, रिस्क अस्सेस्मेंट तथा मानव एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने नवीनतम नतीजों को प्रदर्शित करने एवं चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
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