वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
वाराणसी। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी की पूजा का विधान है। आयुर्वेद के देवता की सैकड़ों साल पुरानी प्रतिमा के साल में एक बार पांच घंटे के लिए दर्शन होते हैं। वाराणसी में भक्तों ने दर्शन कर आशीर्वाद मांगा। भगवान विष्णु के अवतार एवं त्रिदेवों में से एक आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्मोत्सव धूमधाम से सुड़िया स्थित वैद्यराज स्व. पं शिव कुमार शास्त्री के धन्वंतरि निवास में मनाया गया। धनतेरस के दिन भगवान गणेश माता लक्ष्मी के पूजन से सुख समृद्धि एवं भगवान धन्वंतरि के पूजन से मनुष्य आरोग्यता के साथ खुशहाल जीवन जीता है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि का जन्म समुद्रमंथन से धनतेरस के ही दिन हुआ था। इस अवसर पर मंगलवार को धन्वंतरि निवास के श्री धन्वंतरि धर्मामृत औषधालय मंदिर में स्थापित भगवान धन्वंतरि के अष्ठधातु की मूर्ति को दोपहर में शास्त्रोचित विधि से स्नान कराकर चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया। भगवान धन्वंतरि एक हाथ अमृत कलश दूसरे में चक्र तीसरे में शंख एवं चैथे हाथ में जोंक के साथ उनके मुख से दिव्य आभा की चमक बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। भगवान का श्रृंगार दुर्लभ आयुर्वेदिक औषधियों जैसे केसर, कस्तूरी, अंबर, अश्वगंधा, शंखपुष्पी, मूसली सहित स्वर्ण, हीरे, माणिक, पन्ना से किया गया था। मंदिर प्रांगण में शहनाई की मंगलध्वनि के साथ पांच ब्राह्मणों द्वारा विधिविधान से पूजन अर्चन किया गया। वैद्यराज परिवार से पं रामकुमार शास्त्री, पं नन्द कुमार शास्त्री, पं समीर कुमार शास्त्री सहित पुत्रगण उत्पल शास्त्री, आदित्य विक्रम शास्त्री, मिहिर विक्रम शास्त्री कोमल शास्त्री ने भगवान को भोग लगाकर आरती की और सभी के मंगलकामना एवं आरोग्य सुख समृद्धि का आशीर्वाद लिया। शाम ठीक 5 बजे मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया।
रात 10 बजे तक देश विदेश के हजारों श्रद्धालुओं सहित काशीवासियों भगवान धन्वंतरि के दर्शन कर आरोग्य अमृतरस रूपी प्रसाद को ग्रहण किया। इस अवसर पर राकेश सारस्वत, सर्वेश नारायण पवन सिंह, मनोज जायसवाल सहित काशी के गणमान्य लोग उपस्थित रहें।
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