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व्यक्ति के विकास के लिए मातृभाषा का विकास जरूरी: बृजभूषण शरण सिंह

-भोजपुरी माई महोत्सव में कहा, भोजपुरी भाषा हमारी मां से कम नहीं: स्वाती सिंह
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
प्रयागराज, 19 अक्टूबर। भोजपुरी संगम और स्वाती फाउंडेशन के तत्वावधान में भोजपुरी के उत्थान और संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए दबाव बनाने पर चर्चा की गयी। भोजपुरी साहित्य के मुर्धन्य लोगों ने कविता पाठ से लेकर साहित्य विकास तक की चर्चा की। इसके बाद देर रात तक भोजपुरी लोकगीतों का कार्यक्रम चलता रहा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सासंद बृजभूषण शरण सिंह मौजूद रहे।
      भोजपुरी माई महोत्सव कार्यक्रम में बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की मातृभाषा ही उसके विकास की जड़ में होता है, जितना भाषा का विकास होगा, उतना ही उस क्षेत्र का बौद्धिक विकास होगा। यह जरूरी नहीं कि उसे आठवीं अनुसूची में शामिल ही किया जाय, उससे पहले जरूरी है कि हम सभी उसमें रचे-बसें, कहीं भी रहें, अपनी भोजपुरी को बोलने में शर्म न करें।
विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री स्वाती सिंह ने कहा कि जिस भाषा में हमने बोलना सीखा है। जिसने हमें अपनत्व का बोध कराया है। वह निश्चय ही हमारी मां से कम नहीं है। आखिर मां ही है, जो पशुवत से मनुष्यत्व की ओर ले जाने की शिक्षा देती है। वहीं हमारी पहली अध्यापक है, जो समाज के साथ भाषा के प्रयोग को बताती है। आखिर भाषा का भी तो यही काम है। शायद यही कारण है कि अजीत विक्रम जी और अजीत सिंह ने इसे माई का दर्जा दिया है, क्योंकि मातृ भाषा हर बच्चे के लिए मां ही है। आखिर इस भाषा में मिठास भी जितनी ज्यादा है, अन्य कहीं भी मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहा, “हमहूं ये भोजपुरी माई के पूज के बड़ भइल हईं। बलिया क धरती पर जनम बा हमार। अउरी आप सबक आशीर्वाद के कारण कबहूं आपन माटी पर कलंक ना लागे देहनी। आप सब एकर गवाह बानी जा, जब एक बार एक जानी ताल ठोकत रहली। एकही बार ठोकनी कि घरें में घुस गइली।
   वहीं कवि सम्मेलन में डा. श्लेष गौतम, मनोज भावुक, देव कांत पांडेय, डा. विनम्र सेन सिंह, संजीव त्यागी आदि ने मैथिली के मंच पर चढ़ते ही गूंजने लगी तालियां। स्वाती फाउंडेशन और भोजपुर संगम के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने जब मंच से “वो जो आंखों से एक पल ना ओझल हुए” गाया तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। खचाखच भरे एएमए हाल में बहुत लोग खड़े होकर झूमने लगे, फिर मैथिली ने मंच से ही आग्रह किया कि ऐसा कुछ भी न करें, जिससे आपके बगल में बैठे लोग परेशान हों। इसके बाद मैथिली ने कई गीत सुनाए और लोग गीतों का आनंद लेते रहे। मैथिली का एक गीत “जमाना आइल बहुअन क” सुनते ही जहां पुराने लोग भावुक हो गये, वहीं नये भी गदगद नजर आये।

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