वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
वाराणसी 07 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना पिछली सदी के एक प्रखर राष्ट्रवादी और प्रसिद्ध सन्त पूज्य स्वामी प्रणवानन्द ने की थी। उन्होंने अपनी साधना से सिद्धि प्राप्त की थी। उन पर गुरु की कृपा थी। राष्ट्रवाद उनका ध्येय था। इसीलिए संस्था का नाम भारत सेवाश्रम संघ नाम पड़ा। भारत सेवाश्रम संघ के साथ हिंदू मिलन मंदिर जुड़ा, जहां पर समस्त हिन्दू समाज एक मंच पर आकर अपनी समस्या का समाधान कर सके।
मुख्यमंत्री वाराणसी में भारत सेवाश्रम संघ के तत्वावधान में आयोजित श्री दुर्गा पूजा तथा सिलाई मशीन वितरण कार्यक्रम के अवसर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने लाभार्थी महिलाओं को सिलाई मशीन प्रदान की। मुख्यमंत्री ने माँ दुर्गा की पूजा अर्चना भी की। मुख्यमंत्री ने सभी को शारदीय नवरात्रि की बधाई देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में 100 बहनों को महिला सशक्तीकरण के माध्यम से स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने के लिए 100 सिलाई मशीनें उपलब्ध कराई जा रही है। इसके माध्यम से यह परिवार आर्थिक रूप से स्वावलम्बन के मार्ग पर अग्रसर होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छुआछूत और अस्पृश्यता के खिलाफ तथा भारत की राष्ट्रवादी चेतना को जागृत करने के लिए पूज्य स्वामी प्रणवानन्द का अभियान अत्यन्त अभिनंदनीय था। आज भी और आगे भी इसकी प्रासंगिकता बनी रहेगी। स्वामी प्रणवानन्द की भौतिक देह बहुत थोड़े समय के लिए इस धरा धाम पर थी। लेकिन उन्हें जितना भी समय मिला उसका एक-एक क्षण और एक-एक पल उन्होंने सनातन हिंदू धर्म की रक्षा, इसकी परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाए रखने और भारतीय संस्कृति के लिए समर्पित किया। यह वह कालखण्ड था जब देश गुलाम था। देश में आजादी के लिए छटपटाहट थी। गुलामी का समाधान क्या होगा, यह पूज्य संतों ने अपनी दूरदर्शिता से देख लिया था। भारत सेवाश्रम संघ के सन्यासी कैलिफोर्निया, जलपाईगुड़ी, गुजरात, पश्चिम बंगाल एवं दूर-दूर से इस कार्यक्रम से जुड़ने के लिए काशी में आए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ के इस आश्रम की नींव वर्ष 1928 में पड़ी थी। 04 वर्ष बाद 100 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में यह आश्रम अपना शताब्दी महोत्सव मनाएगा। 100 वर्ष की यात्रा अत्यन्त गौरवशाली होती है। यह अपना मूल्यांकन करने का अवसर होता है। स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज ने अपनी आध्यात्मिक दीक्षा वर्ष 1912-13 में गोरखपुर में महान सिद्ध संत योगीराज बाबा गम्भीरनाथ जी से ली थी। मेमन सिंह, फरीदपुर, बंगाल (वर्तमान में बांग्लादेश) में बाबा गम्भीरनाथ ने उन्हें दर्शन दिया था। उस समय वह मात्र छठी सातवीं कक्षा के छात्र थे। योगीराज गम्भीरनाथ ने स्वामी प्रणवानन्द से गोरखपुर में आकर दीक्षा लेने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर में भारत सेवाश्रम संघ का आश्रम भव्य बन चुका है। वहां पर महान क्रांतिकारी श्री शचीन्द्रनाथ सान्याल का भी भव्य स्मारक बनने की कार्यवाही पूर्णता की ओर अग्रसर है। हमें अपनी परम्परा और विरासत पर गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस सम्बन्ध में एक भारत श्रेष्ठ भारत की बात की है। विरासत के प्रति सम्मान का भाव ही आज श्री काशी विश्वनाथ धाम को एक भव्य स्वरूप दे पाया है। विरासत के प्रति सम्मान का भाव ही है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अयोध्या में श्री रामलला का भव्य मंदिर का निर्माण हो गया, श्री रामलला फिर से विराजमान हो गए हैं। पांच सदी में यह कार्य नहीं हो पाया था। एकजुटता होनी चाहिए। संतों का आशीर्वाद होगा, तो आने वाले समय में और भी सफलताएं प्राप्त होगी।
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