वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ मोहन वर्मा
लखनऊ 12 दिसंबर। पश्चिमी सभ्यता ने हमारे देश किस तरह अपनी ओर आकर्षित किया, इससे सभी भलीभांति परिचित है. इसकी ओर देश के युवा सबसे अधिक आकर्षित होते है, और अपनी भारतीय संस्कृति छोड़ पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भागते है. नशाखोरी भी इसी का उदाहरण है. भारत देश की बड़ी मुख्य समस्याओं में से एक युवाओं में फैलती नशाखोरी भी है. देश की जनसँख्या आज 125 करोड़ के पार होते जा रही है, इस जनसँख्या का एक बड़ा भाग युवा वर्ग का है. नशा एक ऐसी समस्या है, जिससे नशा करने वाले के साथ साथ, उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता है. और अगर परिवार बर्बाद होगा तो समाज नहीं रहेगा, समाज नहीं रहेगा तो देश भी बिखरता चला जायेगा. इन्सान को इस दलदल में एक कदम रखने की देरी होती है, जहाँ आपने एक कदम रखा फिर आप मजे के चलते इसके आदि हो जायेगें, और दलदल में धसते चले जायेगें. नशे के आदि इन्सान, चाहे तब भी इसे नहीं छोड़ पाता, क्युकी उसे तलब पड़ जाती है, और फिर तलब ही उसे नशा की ओर और बढ़ाती है.“नशा नाश है”।
नशा कई तरह का होता है, जिसमें शराब, सिगरेट, अफीम, गांजा, हेरोइन, कोकीन, चरस मुख्य है. नशा एक ऐसी आदत है, जो किसी इन्सान को पड़ जाये तो, उसे दीमक की तरह अंदर से खोखला बना देती है. उसे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से बर्बाद कर देती है. जहरीले और नशीले पदार्थ का सेवन इन्सान को बर्बादी की ओर ले जाता है. आजकल नशा का आदि छोटे बच्चे भी हो रहे है, युवाओं के साथ साथ बड़े बुजुर्ग भी इसकी गिरफ्त में है, लेकिन सबसे अधिक ये युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रहा है. युवा पीढ़ी के अंदर सिर्फ लड़के ही नहीं, लड़कियां भी आती है. नशा करने वाला व्यक्ति घर, देश, समाज के लिए बोझ बन जाता है, जिसे सब नीचे द्रष्टि से देखते है. नशा करने वाले व्यक्ति का न कोई भविष्य होता है, न वर्तमान, उसके अंत में भी लोग दुखी नहीं होते है. देश में जो आज आतंकबाद, नक्सलवाद, बेरोजगारी की समस्या फ़ैल रही है, इसका ज़िम्मेदार कुछ हद तक नशा भी है. नशा के चलते इन्सान अपना अच्छा बुरा नहीं समझ पाता और गलत राह में चलने लगता है।
नशाखोरी का समाज में फैलने का कारण (Nashakhori Reason) –
शिक्षा की कमी – देश में शिक्षा की कमी की समस्या आज भी व्याप्त है, सरकार इसकी ओर कड़े कदम उठा रही है. शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में बहुत है, लेकिन कई लोग इसे नहीं समझते है, और शिक्षा की कमी के चलते कई दुष्प्रभाव सामने आते है. जो लोग कम पढ़े लिखे होते है, वे इसके दुष्प्रभाव को नहीं समझते है, और इसकी चपेट में आ जाते है. गाँव में कम पढ़े लिखे लोग कई तरह के नशा करते है, जिससे उनका परिवार तक नष्ट हो जाता है.
नशा संबधी पदार्थो की खुलेआम बिक्री – हम व हमारे देश की सरकार नशा के दुष्परिणाम को जानती है, लेकिन फिर भी इसकी बिक्री खुलेआम होती है. नशा के पदार्थ आसानी से कही भी मिल जाते है, जिससे इसे देखदेख कर भी लोग इसकी ओर आकर्षित होते है.
संगति का असर – स्कूल के बच्चों में ये नशाखोरी संगति के चलते फैलती है. कम उम्र में ये बच्चे भटक जाते है, और ऐसे लोगों के साथ संगती करते है, जो नशा को अपना जीवन समझते है. बच्चों के अलावा युवा को भी कई बार संगति ही बिगाड़ती है. युवा पीढ़ी के कई ऐसे दोस्त होते है, जो नशा करते है, और देखा देखि में वे भी इसे करने लगते है. जो लोग इस नशा को करते है, वे अपने साथ वालों को भी इसे करने के लिए प्रेरित करते है.
मॉडर्न बनने के लिए – नशा को कुछ लोग मॉडर्नता का माध्यम मानते है. उनका मानना होता है, नशा करने से लोग उन्हें एडवांस समझेगें, और उनकी वाह वाही होगी. नशा को अमीरों की शान भी माना जाता है, उन्हें लगता है, नशा करने से हमारा रुतवा सबको दिखेगा. जो व्यक्ति शिक्षित है, वो भी नशा से दूर नहीं है, उनका मानना है कि नशा करने से उनकी बुद्धि में विकास, याददाश और आतंरिक शक्ति में विकास होता है.
पाश्चात्य संस्कृति – पाश्चात्य सभ्यता में मादक पदार्थ को सामाजिक रूप से स्वीकारा गया है, जिससे यहाँ खुलेआम लोग इसे लेते है और इसकी खपत भी अधिक होती है. इसे देख देख हमारे देश के युवा अपने आप को पाश्चात्य संस्कृति में ढालने के लिए नशा को अपनाते है. उनका मानना होता है, नशा उन्हें पाश्चात्य बनाएगा.
सिनेमा का प्रभाव – हमारे सिनेमा जगत का नशाखोरी फ़ैलाने में बहुत बड़ा हाथ है. टीवी, फिल्मों में खुलेआम शराब, सिगरेट, गुटखा खाते हुए लोगों को दिखाया जाता है, जिससे आम जनता विशेषकर बच्चे और युवा प्रभावित होते है, और उसे अपने जीवन में उतार लेते है. टीवी पर तो इसके बड़े बड़े विज्ञापन भी आते है, जिस पर हमारे देश की सरकार भी कोई कदम नहीं उठा रही है. युवा पीढ़ी टीवी पर देखती है, कैसे किसी का दिल टूटने पर जब गर्लफ्रेंड या पत्नी छोड़ कर चली जाती है तो हीरो शराब पीने लगता है, बस वो भी इसे देख अपने जीवन में उतार लेता है. गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप होने पर वो भी देवदास बन शराब पीने लगता है.
तनाव, परेशानी – किसी तरह की पारिवारिक परेशानी, समस्या के कारण भी इन्सान नशा का आदि हो जाता है. अपने गम को भुलाने के लिए इन्सान नशा करने लगता है, लेकिन इससे वो नशा के द्वारा दूसरी समस्या को बुलावा दे देता है. बेरोजगारी, गरीबी, कोई बीमारी या किसी पारिवारिक समस्या के चलते इन्सान नशा की ओर रुख करता है. मूड को बदलने के लिए भी लोग नशा करना पसंद करते है, उनके हिसाब से नशा करने के बाद उन्हें अपने दुःख दर्द याद नहीं रहते और उन्हें सुख की अनुभूति होती है.
नशाखोरी का देश व उसके युवाओं पर दुष्परिणाम (Nashakhori ka samaj and yuva par prabhav in hindi)
गरीबी बढ़ती है – देश में कई ऐसे परिवार है जो एक वक्त की रोटी के लिए रोते है, उन्हें बिना खाना खाए सोना होता है. नशा का आदि इन्सान भले खाना न खाए, लेकिन उसके लिए नशा बहुत जरुरी होता है. वह अपनी दिन भर की कमाई नशा में गवां देता है, यह तक नहीं सोचता की कि उसके बच्चे भूखे है. जो इन्सान पैसा नहीं कमाता, अपने घर के पैसों को इस नशे में लगा देता है, जिससे घर के दुसरे लोगों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है. रोज रोज के इस खर्चे से घर में गरीबी आने लगती है, और घर में खाने पीने तक की समस्या हो जाती है.
नशा एक ऐसी समस्या है, जो दूसरी समस्या को न्योता देती है. इससे गरीबी आती है, बेरोजगारी, आतंकवाद फैलता है. देश में अपराधियों की संख्या बढ़ने लगती है|
घरेलु हिंसा को बुलावा – नशा करने वाला इन्सान अपना आपा खो देता है, उसे याद नहीं होता है वो कहाँ है, क्या कर रहा है. नशा वाला इन्सान घरेलु हिंसा को दावत देता है, वो आने घर में अपनी बीवी, बच्चों को मारने लगता है.
अपराधी बना देता है – नशा एक अपराध से कम नहीं है, और नशा वाला इन्सान एक अपराधी. नशे की तलब को पूरा करने के लिए इन्सान चोरी करने लगता है, और छोटे छोटे अपराध कब बड़े अपराध में बदल जाते है पता ही नहीं चलता. अफीम, चरस, कोकीन का नशा लेने के बाद इन्सान के अंदर उत्तेजना आ जाती है, जिससे वो अपने काबू में नहीं रहता और इस नशे के बाद इन्सान चोरी, मृत्यु, हिंसा, लड़ाई-झगड़े, बलात्कार जैसे कामों को अंजाम देता है, जो उसे एक बड़ा अपराधी बना देता है. घर टूटते है।
भविष्य नष्ट होता है – नशेबाज को नशे के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता है. मैंने ऐसे कई किस्से सुने है, जहाँ नशा ने अच्छे खासे बने बनाये इन्सान को बर्बाद कर दिया है. नशा का आदि इन्सान अपना भविष्य नष्ट कर लेता है, उसे उससे कोई लेना देना होता है.
स्वास्थ्य संबधी समस्या – नशा की लगातार लत से शरीर नष्ट हो जाता है. तम्बाकू, शराब, सिगरेट अधिक पीने से शरीर में फेफड़े, गुर्दा, दिल, और न जाने क्या क्या ख़राब होने लगता है. हम सबको पता है, धुम्रपान हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, फिर भी हम इसके आदि हो जाते है. धुम्रपान का धुँआ अगर सामने वाले व्यक्ति के शरीर में भी जाता है, तो उसे नुकसान पहुंचता है. इसी तरह गुटका जिस पर लिखा भी होता है कि इसे खाने से स्वास्थ्य संबधी समस्या होती है फिर भी लोग मजे से इसे खाते है, मुहं का कैंसर, गले का कैंसर सब नशा के कारण होते है. नशा करने से व्यक्ति की उम्र घटती जाती है, और ये कई शोध के द्वारा प्रमाणित हो चूका है. अलग अलग नशा पदार्थ अलग अलग नुकसान देते है. शराब पीने से लीवर, पेट ख़राब होता है, और लीवर कैंसर भी होता है. गुटखा खाने से मुहं में कैंसर, अल्सर की परेशानी होती है. गांजा, भांग से इन्सान का दिमाग खराब होने लगता है, इससे वो पागल भी हो सकता है.
परिवार टूट जाते है – नशेबाज इन्सान अपने परिवार से ज्यादा अपने नशे को तवज्जो देते है, जिससे परिवार टूट जाते है. नशाखोरी, आज के समय में परिवार बिखरने की सबसे बड़ी वजह है. नशे के चलते पति पत्नी में झगड़े बढ़ते है, जिसका असर बच्चों पर भी होता है. कई बार तो ये बच्चे बड़े होकर अपने बड़ों की तरह ही काम करते है, और नशा को अपना लेते है.
मादक पदार्थ का सेवन इन्सान को घटक से घटक बना देता है, वो अपनी तलब को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. हमारे देश की सरकार देश की इस बड़ी समस्या की ओर उतनी नजर नहीं की हुई है, जितनी उसे करना चाइये. सरकार को नशामुक्ति के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
रेशु राज सोनी