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गाजियाबाद पुलिस की हरकत को उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति ने बताया शर्मनाक

– गाजियाबाद की कविनगर थाना पुलिस ने एक स्थानीय दैनिक के संपादक इमरान खान को ही शांति भंग के आरोपों में जेल भेज दिया
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। प्रदेश में पत्रकारों का उत्पीड़न करने में माफिया और अपराधी किस्म के लोग ही नहीं, पुलिस भी बढ़चढ़ कर भूमिका निभा रही है। गाजियाबाद की कविनगर पुलिस ने एक स्थानीय दैनिक के संपादक इमरान खान को ही शांति भंग के आरोपों में जेल भेज दिया। पुलिस की इस हरकत से उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति आक्रोशित है। समिति ने इस मामले में निर्णायक विरोध की ठानी है।
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति के महासचिव अरुण त्रिपाठी ने खेद जताया है और पुलिस की हरकत को शर्मनाक बताया है। त्रिपाठी ने कहा, आश्चर्य की बात है कि गाजियाबाद पुलिस को अब अपराधियों से नहीं बल्कि लोकतंत्र का चैथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों से शांति भंग का खतरा नजर आ रहा है।
दरअसल, 13 नवम्बर को गाजियाबाद में होने वाले उपचुनाव में शांति व्यवस्था बनाए रखने के मकसद से असामाजिक तत्वों और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के भरवाए जा रहे मुचलकों में गाजियाबाद की कविनगर थाना पुलिस ने एक स्थानीय दैनिक के संपादक इमरान खान को ही शांति भंग के आरोपों में जेल भेज दिया। इस घटना से पत्रकारों में रोष है। इमरान आज समाज पार्टी के भी कार्यकर्ता हैं। गिरफ्तारी की जानकारी मिलने पर आसपा प्रत्याशी सत्यपाल चैधरी भी कविनगर थाने पहुंचे और गिरफ्तारी का विरोध किया। हालांकि पुलिस ने विरोध को नजरअंदाज कर दिया। इस मामले में उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला लाएगी और मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपेगी।
सांसद ने दर्ज कराया था झूठा मुकदमा:
दैनिक अखबार आप अभी तक के संपादक इमरान खान के खिलाफ हाल ही में चुनाव जीतकर आए सांसद अतुल गर्ग ने अक्टूबर में एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने कहा था अखबार ने उनकी छवि को धूमिल करने की खबर प्रकाशित की जिसमें उन्हें भूमाफिया कहा गया। जबकि उक्त आरोप इंडिया गठबंधन एवं कांग्रेस प्रत्याशी रही डोली शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए थे।
दिल्ली प्रेस क्लब ने भी जताया विरोध:
इमरान खान की गिरफ्तारी का दिल्ली प्रेस क्लब ने भी विरोध किया है। प्रेस क्लब ने एक्स पर ट्वीट कर गिरफ्तारी को अलोकतांत्रिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताया है।
प़त्रकारों के प्रति प्रषासन का रवैया बहुत ही खराब हो रहा है: अजय कुमार वर्मा
पत्रकारों की आवष्यकता सभी को है लेकिन पत्रकारों के प्रति रवैया भी उतना खराब और खतरनाक हो रहा है। एक तरफ डीजीपी यूपी पत्रकारों के प्रति अच्छा व्यवहार का आदेष दे रहे हैं लेकिन धरातल पर उतना ही उल्टा हो रहा है। कमोबेष यह स्थिति पूरे भारत में फैल रही है जो कि बहुत निंदनीय है।

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