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केजीएमयू में अत्याधुनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की स्थापना

वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। कुलाधिपति केजीएमयू एवम राज्यपाल उपस्थिति में राजभवन, लखनऊ में केजीएमयू, आदित्य बिरला कैपिटल फाउंडेशन एवम कैनकिड्स के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने कहा कि कुलाधिपति ने हमेशा सीएसआर फंडिंग के तहत क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित किया है। केजीएमयू की इस बीएमटी यूनिट में प्रत्यारोपण की लागत काफी कम होगी। इसके द्वारा राज्य के सैकड़ों गरीब रक्त विकार रोगियों को बहुत कम दरों पर उपचार प्राप्त होगा। प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद, कुलपति केजीएमयू के निर्देषन में केजीएमयू ने देश में बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन में अग्रणी भूमिका निभाई है।
ज्ञात हो कि प्रो सोनिया नित्यानंद द्वारा वर्ष 1999 में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में उत्तर प्रदेश राज्य का पहला सफल बीएमटी किया गया था। यह उस समय देश में चैथा बीएमटी कार्यक्रम था। तत्पश्चात उन्होंने 2003 में एसजीपीजीआई में क्लिनिकल हेमेटोलॉजी और बीएमटी के एक नए विभाग की स्थापना की। जब वे वर्ष 2021 में राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान की निदेशक चयनित हुई तो सरकारी संस्थानों में अंग और रक्त प्रत्यारोपण केंद्रों के महत्व और कमी को महसूस करते हुए, उन्होंने एक एकीकृत सुविधा के रूप में किडनी, लीवर और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के लिए एक नया केंद्र आरंभ किया। यह एकीकृत केंद्र, वर्तमान में निर्माणाधीन है। उत्तर प्रदेश सरकार से इसके लिए मद प्राप्त किया गया है। अगस्त 2023 में कुलपति केजीएमयू का कार्यभार संभालने के बाद, उन्हें केजीएमयू में किडनी ट्रांसप्लांट कार्यक्रम और बीएमटी कार्यक्रम को बढ़ावा देने की आवश्यकता महसूस हुई।
बताते चलें कि आईसीयू की कमी के कारण गुर्दे का प्रत्यारोपण संभव नहीं हो पा रहा था। प्रो सोनिया नित्यानंद ने एक वार्ड को आईसीयू में बदलने का निर्देश दिया। यह अब सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ पूर्ण हो गया है और 27 सितंबर 2024 को कुलपति द्वारा इसका उद्घाटन किया जा चुका है। इसी प्रकार उन्होंने हेमेटोलॉजी विभाग में एक विशेष हेपा-फिल्टर बीएमटी यूनिट की कमी देखी। इसके लिए उन्होंने 2.75 करोड़ रुपये की लागत से केजीएमयू में अत्याधुनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं (सीएसआर फंड के माध्यम से) को पूरी तरह से वित्तपोषित करने के लिए एक गैर सरकारी संगठन, आदित्य बिड़ला कैपिटल फाउंडेशन और कैनकिड्स सोसाइटी से अनुरोध किया।

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