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उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के पदाधिकारियों एवं व्यापारियों ने की प्री- बजट चर्चा

– विलफुल डिफॉल्टर पर सरकार कसे शिकंजा, ताकि उसका बोझ व्यापारियों और जनता को ना झेलना पड़े: संजय गुप्ता
– परंपरागत व्यापारियों के व्यापार को बचाने के लिए ई-कॉमर्स पॉलिसी लागू करने की मांग
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश कार्यालय अयोध्या रोड पर संगठन के पदाधिकारियों ने प्री- बजट चर्चा के आयोजन में व्यापारियों ने वित्त मंत्री से बजट पर अपेक्षाएं करते हुए पुराने एवं वर्तमान व्यवस्था के स्वरूप पर व्यापक गहन चर्चा की एवं समीक्षा की।
बजट चर्चा में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता, कोषाध्यक्ष मोहम्मद अफजल ,लखनऊ अध्यक्ष हरजिंदर सिंह, लखनऊ नगर वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमिताभ श्रीवास्तव, डॉ साकेत चतुर्वेदी, ट्रांसगोमती प्रभारी मनीष पांडे, नगर उपाध्यक्ष परवेश जैन ,प्रवीण मिश्रा, सर्वेश अग्रवाल आदि शामिल हुए।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए देश के परंपरागत घरेलू व्यापारियों के व्यापार को बढ़ाने की योजना बननी चाहिए तथा व्यापारियों को और अधिक मजबूत करना होगा तभी यह टारगेट प्राप्त किया जा सकता है। उन्होने कहा बैंकों से लोन लेकर विलफुल डिफॉल्टर होने वालों पर सरकार को शिकंजा कसना चाहिये, ताकि उसका बोझ व्यापारियों और जनता को ना झेलना पड़े क्योंकि इसी वजह से बैंकों का घाटा पूरा करने के लिए ऋण की दरे बढ़ती है। व्यापारियों ने 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री से निम्न मांग एवं अपेक्षा की –
प्रमुख बाजारों में सीसीटीवी कैमरा योजना शुरू करने की मांग।
जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को 10 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा।
अपंजीकृत व्यापारियों को ₹500000 का स्वास्थ्य बीमा दिए जाने की अपेक्षा।
जीएसटी भुगतान पर आधारित व्यापारियों के लिए पेंशन योजना शुरू करने की मांग।
परंपरागत व्यापारियों के व्यापार को बचाने के लिए ई-कॉमर्स पॉलिसी लागू करने की मांग।
रिटेल ट्रेड पॉलिसी बनाए जाने की मांग।
ई-कॉमर्स कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए परंपरागत व्यापारियों को बैंकों से कम ब्याज दरों पर बिना सिक्योरिटी लोन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए।
डिजिटल पेमेंट को और अधिक बढ़ावा देने के लिए डेबिट, क्रेडिट कार्ड,पउचे पर लगने वाले शुल्क को समाप्त किया जाए।
आयकर की दोहरी व्यवस्था को समाप्त करके सिंगल व्यवस्था ही होनी चाहिए।
दस लाख तक आय कर मुक्त हो।
सी जी टी एम एस ई योजना के प्रावधानों को सरल किया जाए ताकि एम एस एम ई के अंतर्गत आने वाले उद्योगों एवं व्यापारियों को आसानी से ऋण उपलब्ध हो सके तथा बैंकों को अनिवार्य रूप से इस योजना का पालन करने का नियमावली बनाई जाए।
जीएसटी प्रणाली में केवल दो दरे ही होनी चाहिए।
जीएसटी के अंतर्गत सेवा सेक्टर को 18% के स्लैब से हटाकर 5% के स्लैब में शामिल होना चाहिए।
बचत खाते ,फिक्स्ड डिपॉजिट पर बैंकों द्वारा भुगतान किए जाने वाले ब्याज की दरे बढ़ाई जाए ताकि बचत की राशि बैंक में जमा करने की प्रवृत्ति बढ़े।
सरकार द्वारा बड़े लोन डिफॉल्टरो के राइट ऑफ किए गए खातों को सार्वजनिक किये जाने की योजना होनी चाहिए।
नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी की ब्याज दरों पर नियंत्रण होना चाहिए तथा लोन को बंद करते समय किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं रखना चाहिए, तथा लोन की प्रोसेसिंग शुल्क पर नियमावली बनी चाहिए।

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