Breaking News

राजकीय संरक्षण के अभाव में पहाड़ी चित्रकला विलुप्त : पद्मश्री विजय शर्मा

– नई पीढ़ी के चित्रकार इस पहाड़ी चित्रकला को सीखकर पुनर्जीवित करें
– एक सप्ताह की कलावधि बहुत कम
वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। संस्कृति विभाग उ०प्र० द्वारा आयोजित कला अभिरूचि पाठ्यक्रम के अन्तर्गत पहाड़ी चित्रकला विषयक कार्यशाला के समापन एवं प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन के अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ० माण्डवी सिंह, कुलपति, भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय एवं निदेशक डा० सृष्टि धवन ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।
चित्रकार पद्मश्री विजय शर्मा द्वारा कहा गया कि पहाड़ी चित्रकला राजा-महराजाओं एवं मुगल शासकों के प्रश्रय में फली-फूली और विकसित हुई। राजनैतिक परिस्थितयों के बदलने के कारण राजकीय संरक्षण के अभाव में यह कला विलुप्त हो गयी। पहाड़ी चित्रकला को नई पीढी के कलाकारों को चित्रांकन विधान सिखाने की दृष्टि से राज्य संग्रहालय, लखनऊ द्वारा कला अभिरूचि कार्यक्रम एक सुखद पहल है। आठ दिवसीय इस कार्यशाला में प्रतिभागियों ने बड़े मनोयोग से रूचि लेते हुए विभिन्न विषयों पर सुन्दर आलेखन किया है। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि लघु चित्रकला का विधान सिखाने के लिये एक सप्ताह की कलावधि बहुत कम है। निकट भविष्य में इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिये, ताकि नई पीढ़ी के कलाकार इस विलुप्त होती कला को सीख कर इस महान कला को पुनर्जीवित करने में योग दे सकें।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ० माण्डवी सिंह ने कहा कि इस चित्रकला की विषय वस्तु रीति कालीन काव्य पुराण ग्रन्थ आदि है। अतः विद्यार्थियों को तकनीक के साथ-साथ साहित्य का ज्ञानार्जन करना चाहिये ताकि विषय वस्तु को अच्छी तरह समझ सकें। उ०प्र० संग्रहालय निदेशालय की निदेशक डा० सृष्टि धवन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन करते समय कहा गया कि आगमी समय में इस तरह की कार्यशाला का आयोजन 15 दिवसीय कराया जायेगा। उक्त कार्यशाला को सफल बनाने हेतु कार्यक्रम प्रभारी डॉ० मीनाक्षी खेमका, सहायक निदेशक, श्रीमती उमा द्विवेदी, संयुक्त सचिव श्रीमती रेनू द्विवेदी, निदेशक, पुरातत्व डॉ० विनय कुमार सिंह, मुद्राशास्त्र अधिकारी डॉ० अनीता चौरसिया, धन्नजय कुमार राय, श्रीमती शशि कला राय, श्रीमती गायत्री गुप्ता, राधे लाल, शारदा प्रसाद त्रिपाठी, प्रमोद कुमार, बृजेश कुमार यादव, डॉ० मनोजनी देवी, रव कुमार, संतोष कुमार आदि उपस्थिति रहे।

Check Also

क्या जागेगी सरकार मनोज भावुक के इस जनगीत से ?

वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा लखनऊ। पलायन का दर्द बयान करता मनोज भावुक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Live Updates COVID-19 CASES