Breaking News

प्रशिक्षु चित्रकारों ने चित्रों की मुखाकृति को अलंकृत करना सीखा

– कला अभिरूचि पाठ्यक्रम के अन्तर्गत पहाड़ी चित्रकला विषयक कार्यषाला

– गिलहरी के पूँछ के बालो से निर्मित तूलिका का प्रयोग

वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा 
लखनऊ। संस्कृति विभाग उ0प्र0, लखनऊ द्वारा आयोजित कला अभिरूचि पाठ्यक्रम के अन्तर्गत पहाड़ी चित्रकला विषयक कार्यषाला की श्रंृखला के सातवें दिन चित्रकार पद्मश्री विजय शर्मा, भुवनेष्वर कुमार शर्मा एवं दीपक भंडारी के माध्यम से दिये जा रहे प्रषिक्षण के दौरान सभी प्रषिक्षुओं ने अपने -अपने चित्रों की मुखाकृति को आभूषणों से अलंकृत किया। नारी आकृतियों में मोती और महावर का काम सम्पन्न करते हुए चित्रों को हाशियें से अलकृत किया गया।
उक्त कार्यषाला में सभी प्रतिभागियों ने पहली बार लघु चित्राकंन किया है। प्रषिक्षुओं ने पहाड़ी शैली के प्रसिद्ध चित्रों की आकृतियों के चित्रांकन करने में रूचि दर्षायी, जिसमें हिन्दू देवी देवताओं के अतिरिक्त नारी सौन्दर्य को दर्षाती आकृतियों को अंकित किया। पहाड़ी चित्रकला में नारी सौन्दर्य को माधुर्य भाव से परिपूर्ण चित्रांकन अद्वितीय मानी जाती है। कांगड़ा शैली चित्रों की मुखाकृति एक चष्म तथा प्रकृति का मनोरम चित्रण उकेरा गया है। इस शैली के पहाड़ी चित्रों का महीन आलेखन गिलहरी के पूँछ के बालो से निर्मित तूलिका से सूक्ष्म आलेखन किया जाना कागंड़ा शैली की प्रमुख विषेषता है।
उक्त कार्यषाला को सफल बनाने हेतु कार्यक्रम प्रभारी डाॅ0 मीनाक्षी खेमका, सहायक निदेषक, राधेलाल, प्रमोद कुमार, गौरव कुमार, डाॅ0 अनीता चैरसिया, धनंजय कुमार राय, श्रीमती शषिकला राय, श्रीमती गायत्री गुप्ता, संतोष कुमार आदि उपस्थिति रहे।

Check Also

क्या जागेगी सरकार मनोज भावुक के इस जनगीत से ?

वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा लखनऊ। पलायन का दर्द बयान करता मनोज भावुक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Live Updates COVID-19 CASES