वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र में स्थापित मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों के संचालन के लिए मान्यता दिए जाने हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव परिवहन द्वारा जारी किया गया था। सरकार द्वारा जारी उक्त आदेश में तमाम व्यावहारिक खामियां थीं और यूपी के तमाम मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालकों के हितों को दरकिनार किया गया था। जिसको लेकर यूपी मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन ने माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में एक रिट याचिका दायर किया था, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा एक लम्बी सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। लगभग 5 माह बाद माननीय उच्च न्यायालय का फैसला आ गया।
बताते चलें कि निजी क्षेत्र में स्थापित मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों के संचालन के लिए व मान्यता दिए जाने हेतु सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) में मनमाना रवैया अपनाया गया था। जिसमें तमाम विधिक खामियां थीं। माननीय हाईकोर्ट के यूपी मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन के पक्ष में आये फैसले के बाद इन खामियों पर संगठन के महासचिव पी.पी. सिंह ने बताया कि शासनादेश के अनुसार जिन जनपदों में प्रदेश सरकार अपने संस्थान जैसे डी.टी.टी.आई./ ए.डी.टी.टी/ आई.डी.टी.आर. खोलेगी व जिन जनपदों में निजी क्षेत्र के ए.डी.टी.सी. खुलेंगे, उन जनपदों में पूर्व से संचालित मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में वाहनों का प्रशिक्षण प्रतिबंधित किया गया था। इससे निजी ड्राईविंग ट्रेनिंग स्कूल संचालकों के व्यापारिक हित बाधित हो रहे थे।
अपने इन्हीं हितों आदि के संरक्षण के लिए यूपी मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन ने माननीय उच्च न्यायालय का शरण लिया और लगभग डेढ़ वर्ष चली कानूनी लड़ाई में हाईकोर्ट ने माना कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी (SOP) के कई बिन्दु केंद्रीय मोटरयान अधिनियम व नियमावली के विरुद्ध हैं जिसे उच्च न्यायालय ने अपने जारी आदेश में निरस्त करते हुए मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालकों के हितों की रक्षा किया। न्यायालय के इस फैसले से जहाँ संगठन के सदस्यों में खुशी का माहौल है।
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