वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 20 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने आज अवधी का विकास एवं अवधी साहित्य का प्रभाव विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के अवधी भाषा और साहित्य के प्रति रुचि रखने वाले विद्वानों ने विचार विमर्श किया और महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। सम्मेलन का उद्घाटन उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव द्वारा किया गयाए जिन्होंने इस आयोजन के महत्व को बताया और अवधी भाषा के महत्व की ओर संकेत किया। इस सम्मेलन में विशेषज्ञ विद्वानों ने अपनी विशेषज्ञता के आधार पर विभिन्न विषयों पर प्रस्तावनाएँ दी जैसे कि अवधी साहित्य के इतिहास,संस्कृति और भाषाशास्त्र के प्रति उनके दृष्टिकोण। संगोष्ठी में उपस्थित व्यक्तियों ने अवधी भाषा के साहित्यिक मूल्य को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार विमर्श किया।
गंगा प्रसाद शर्मा ने अवधी साहित्य के विकास के साथ.साथ उसके मूल्यों और सांस्कृतिक महत्व के प्रति जोर दिया। उन्होंने आवश्यकता को जागरूक करने का प्रयास किया और अवधी भाषा के साहित्यिक विरासत की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया। श्रीमती कात्यायनी उपाध्याय ने अवधी साहित्य के भाषाशास्त्रिय दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण ध्यान में रखा। उन्होंने अवधी भाषा के विकास के लिए विभिन्न भाषाशास्त्रीय मार्गदर्शन प्रस्तुत किए और भाषा के साहित्यिक उपयोग के साथ उसके शब्दात्मक और व्याकरणिक पहलुओं को बढ़ावा दिया। डॉण् ममता सक्सेना ने संगोष्ठी में अपने विचार प्रस्तुत करते समय अवधी साहित्य के महत्व को बढ़ावा दिया और इसे आजके समय के संदर्भ में व्यापक रूप से महत्वपूर्ण माना। उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि अवधी साहित्य का अध्ययन और प्रसार वर्तमान की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में शोधार्थी संस्थान से दिनेश कुमार मिश्र, अंजू सिंह, प्रियंका, आशीष, हर्ष, ब्रजेश यादव, रामहेत, पाल, शशि, छाया आदि उपस्थित रहे।
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