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राष्ट्रव्यापी हड़ताल : बैंककर्मियों ने किया भारी प्रदर्शन, ए.टी.एम. हुये कैशलेश

– बैंको में जमा जनता के धन पर पूॅजीपतियों और नेताओं की नजर है- पवन कुमार
वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 17 दिसंबर। केन्द्र सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको को निजीकरण कर बेचने की साजिश के तहत आज दूसरे दिन भी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आवाह्न पर बैंककर्मियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल जारी रही।
         सभा को सम्बोंधित करते हुये आल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन (ऑयबाक) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि बताया-‘‘बैंको में जमा जनता के धन पर पूॅजीपतियों और नेताओं की नजर है बैंको के निजीकरण होने पर सरकार उन्हें बड़े लोन स्वीकृत करायेगी फिर ऋणलेने वाला ऋण को एनपीए कराने के बाद मात्र 10 या 15 प्रतिशत धनराशि देकर ऋण का सेटलमेंट करा लेगा या देश छोड़कर भाग जायगा। विजय माल्या, नीरव मोदी, चन्दा कोचर आदि प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। जनता भी अब इस चाल को समझ चुकी है। हम सरकार की मनमानी नहीं चलने देंगे।’’
      एन.सी.बी.ई. के प्रदेश महामंत्री अखिलेश मोहन ने कहा कि वरिष्ठ कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति होने के बावजूद पर्याप्त मात्रा में नये कर्मचारियों की भर्ती न होने से कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है। सरकार ने मनमाने तरीके से बैंको का विलय किया, अब तो बैंको का निजीकरण कर बेचने की तैयारी कर दी है, हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे।
इंडियन बैंक अधिकारी संघ के आर.एन.शुक्ला ने बताया कि बैंक निजीकरण से बैंक जमा की सुरक्षा कमजोर होगी। भारत में जमाकर्ता की कुल बचत, जो कि रु0 87.6 लाख करोड़ है, का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा 60.7 लाख करोड़ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के पास है, जो कि अपनी जमा के लिए सरकारी बैंकों को प्राथमिकता देते हैं।
      सभा को संदीप सिंह, के. एच. पाण्डेय, रामनाथ शुक्ला, सौरभ श्रीवास्तव, एस.के.अग्रवाल, अनिल श्रीवास्तव, डी.पी.वर्मा, छोटेलाल, विभाकर कुशवाहा, राजेश शुक्ला, एस.के.लहरी, अमरजीत सिंह, एस.के.संगतानी, दीपेन्द्रलाल, नन्दू त्रिवेदी, एस.डी.मिश्रा, वी.के.सिंह, अमरजीत सिंह, विनय सक्सेना, यू.पी.दुबे आदि बैंक नेताओं ने इसी प्रकार एकता से संगठन से जुडे़ रहकर लम्बे संघर्ष हेतु तैयार रहने का आवाह्न किया।
मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि दो दिनों की हड़ताल से लखनऊ में लगभग 3000 करोड़ तथा प्रदेश में 40000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा। हड़ताल के दोनो दिन राष्ट्रीयकृत बैंको के लखनऊ जिले की 905 शाखाओं के 10000 बैंककर्मी तथा प्रदेश की 14000 शाखाओं के 2 लाख बैंककर्मी शामिल रहें। लखनऊ में 990 एवं प्रदेश के 12000 ए.टी.एम. मशीनों में से कई मशीनों में कैश समाप्त होने तथा एटीएम खराब व बन्द पड़े होने के कारण लोग अपना पैसा नहीं निकाल सके। इसके अलावा ऑनलाइन बैंकिग भी नेटवर्क समस्या के कारण लोगो को दिनभर रूलाता रहा। हड़ताल के कारण पेन्शनधारकों, वेतनभोगियों एवं आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा। शाखाओं में जमा व निकासी, एफ.डी.रिन्यू, ऋण सम्बन्धी कार्य, सरकारी खजानेे एवं व्यापार से जुडे़ कामों पर भारी असर पड़ा

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