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चुनाव के समय उपाध्यक्ष का चुनाव कराना पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और अलोकतांत्रिक – श्रीमती आराधना मिश्रा मोना

वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 18 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधान मण्डल दल नेता श्रीमती आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि उ.प्र. भारत के संविधान के. अनुच्छेद 168 ( 1 ) के अंतर्गत विधान सभा का गठन होता है, और भारत के संविधान के अनुच्छेद 172 ( 1 ) के अंतर्गत विधान सभा की अवधि 5 वर्ष की होगी। उत्तर प्रदेश की यह 17वीं विधान सभा है, जिसके साढ़े चार साल का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, और 5 माह से कम की अवधि शेष रह गयी है, ऐसी परिस्थिति में वह कौन से अपरिहार्य कारण है जिसकी वजह से उपाध्यक्ष का चुनाव कराना अल्प समय के लिये आवश्यक हो गया है। यह सरकार की असंवैधानिक कुटिलता और असंवेदनशील मानसिकता को दर्शाता है। कांग्रेस पार्टी सहित संपूर्ण विपक्ष लगातार उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली- 1958 के नियम- 9 ( 1 ) के तहत उपाध्यक्ष के चुनाव की मांग करता रहा है, किन्तु सरकार द्वारा अभी तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया गया है।
 प्रवक्ता अशोक सिंह ने बताया कि नेता, कांग्रेस विधान मण्डल दल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली – 1958 के अध्याय 4 के नियम 14 के अनुसार, सभा के अधिवेशन, अनुच्छेद -174 के अंतर्गत साधारणतया प्रत्येक वर्ष में सभा के 3 अधिवेशन अर्थात आय व्ययक अधिवेशन, वर्षाकालीन अधिवेशन व शीतकालीन अधिवेशन होते हैं। चूँकि उत्तर प्रदेश विधान सभा के आम चुनाव का समय निकट है और शीघ्र ही चुनाव की अधिसूचना भी जारी होने की संभावना है। अतः ऐसी परिस्थिति में उपाध्यक्ष का चुनाव कराना पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और अलोकतांत्रिक है। वर्ष 2007 में उ.प्र. विधान सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव अंतिम बार हुआ था, तब से चाहे जिस भी पार्टी की सरकार रही हो विधान सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ, जो कि उ.प्र. विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली 1958 के नियम एवं परम्परा के विपरीत है।
उत्तर प्रदेश विधान सभा की गौरवशाली परम्परा रही है कि उपाध्यक्ष का चुनाव विपक्ष की सलाह से होता रहा है किन्तु सत्तारूढ़ दल की तरफ से न तो कोई चर्चा ही इस संदर्भ में विपक्ष के साथ की गयी और न ही कोई सलाह ही ली गयी है। मात्र अपने राजनैतिक लाभ के लिये सत्ता पक्ष उपाध्यक्ष का चुनाव करा रहा है। पूर्व में भी जब भारतीय जनतापार्टी सत्ता में थी तब भी वर्ष 2001 में जब कार्यकाल लगभग समाप्त हो रहा था तो डा. अम्मार रिजवी जी को समर्थन देकर कुछ दिनों के लिये “उपाध्यक्ष” बनाया था। भारतीय जनतापार्टी आदतन एवं इरादतन उपाध्यक्ष पद की गरिमा नष्ट करती है, और उत्तर प्रदेश विधान सभा की शानदार परम्परा का अपमान कर रही है।
नेता, कांग्रेस विधान मण्डल दल ने कहा है कि अभी हाल ही में जनपद लखीमपुर खीरी में हुई किसानों की निर्मम हत्या अत्यंत दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है, जब प्रदेश में चारों तरफ बेरोजगारी, महंगाई, अराजकता, दलित उत्पीड़न और महिलाओं के साथ बलात्कार व उत्पीड़न की घटनायें आम बात हो गयी है। ऐसे में सरकार को इन ज्वलन्त मुद्दों पर उत्तर प्रदेश विधान सभा का “विशेष सत्र“ बुलाकर चर्चा करानी चाहिए, किन्तु सरकार ने ऐसा न करके उत्तर प्रदेश की जनता के साथ छल और धोखा किया है। इन परिस्थितियों में उ.प्र . विधान सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव कराना या उसमें शामिल होना उत्तर प्रदेश के गौरवमयी इतिहास और संविधान की मूल भावना के खिलाफ होगा। अतः कांग्रेस पार्टी इसका बहिष्कार करती  है।

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