वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
इलाहाबाद 9 सितम्बर। परिशांति कायम रखने के उद्देश्य से दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अधीन धारा-107/116/151 के तहत कार्यकारी मजिस्ट्रेट को प्राप्त शक्तियों के क्रियान्वयन के विषय में शासन द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।
यह निर्णय मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के निर्देशों के क्रम में लिया गया है। जिसमें इस विषय पर एक उचित कार्य प्रणाली विकसित किये जाने हेतु यथोचित् दिशा-निर्देश निर्गत किये जाने की अपेक्षा की गयी है। इस क्रम में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों सहित पुलिस महानिदेशक, समस्त जोनल, अपर पुलिस महानिदेशक, समस्त परिक्षेत्रीय महानिरीक्षक/उप महानिरीक्षक एवं समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक, उ0प्र0 को शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।
निर्देशों में शासन द्वारा समस्त जिला मजिस्ट्रेट, उसके अधीनस्थ समस्त कार्यपालक मजिस्ट्रेट्स तथा विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट्स से यह अपेक्षा की गयी है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता में उन्हें प्रदत्त की गयी शक्तियां, उनके क्षेत्राधिकार में शांति व्यवस्था एवं लोक प्रशान्ति बनाये रखने के लिए हैं। शासन द्वारा कहा गया है कि इनका पालन सदैव गुण दोष के आधार पर युक्ति-युक्त न्यायिक मस्तिष्क का प्रयोग करते हुये, विधि एवं निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाय, ताकि आम जन को संविधान से प्राप्त मौलिक अधिकार संरक्षित रहे।
शासन द्वारा जारी निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति की अवैध रूप से हिरासत प्रमाणित पायी जाती है, तो पीड़ित व्यक्ति को 25 हजार रूपये की धनराशि का भुगतान मुआवजे के रूप में किया जायेगा। इसके साथ ही अवैध हिरासत किये जाने के उत्तरदायी अधिकारी के विरूद्ध भी नियमानुसार दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।
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