– भारतीय फोन नंबरों वाले 45 लाख स्पूफ अंतर्राष्ट्रीय कॉल्स को प्रतिदिन टीएसपी द्वारा ब्लॉक किया जा रहा है
वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)। अजय कुमार वर्मा
नई दिल्ली। हाल के दिनों में, नागरिकों को कई धोखाधड़ी वाले कॉल प्राप्त हो रहे हैं, जो अक्सर भारतीय मोबाइल नंबरों से आने के रूप में दिखाई देते हैं। वास्तव में ये कॉल विदेश से संचालित साइबर अपराधियों द्वारा हेराफेरी से किए जाते हैं। ये अपराधी कॉल की वास्तविक उत्पत्ति को छिपाने के लिए कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (CLE) का फायदा उठाते हैं, जिसके कारण मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट होने, फर्जी डिजिटल गिरफ्तारी की धमकियों और यहां तक कि सरकारी अधिकारियों या कानून प्रवर्तन एजेंसियों का प्रतिरूपण करने से जुड़ी घटनाओं की बाढ़ आ गई है। हाल के मामलों में ड्रग्स, नशीले पदार्थों और सेक्स रैकेट से जुड़े झूठे आरोप शामिल हैं, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
इस बढ़ते खतरे की प्रतिक्रिया में, दूरसंचार विभाग (DOT) ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSP) के साथ मिलकर एक उन्नत प्रणाली शुरू की है, जो भारतीय दूरसंचार ग्राहकों तक पहुँचने से पहले आने वाली अंतर्राष्ट्रीय नकली कॉलों की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए डिजाइन की गई है। इस प्रणाली को दो चरणों में लागू किया जा रहा हैरू पहला, अपने स्वयं के ग्राहकों के फोन नंबरों से नकली कॉलों को रोकने के लिए टीसपी स्तर परय और दूसरा, अन्य टीसपी से ग्राहकों के नंबरों से नकली कॉलों को रोकने के लिए केंद्रीय स्तर पर। अब तक, सभी चार टीएसपी ने इस प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू कर दिया है। कुल 4.5 मिलियन स्पूफ कॉल में से लगभग एक तिहाई को भारतीय दूरसंचार नेटवर्क में आने से रोका जा रहा है। अगले चरण में एक केंद्रीकृत प्रणाली को शामिल किया जाएगा जो सभी टीएसपी में शेष स्पूफ कॉल को समाप्त कर देगी। इसके जल्द ही चालू होने की उम्मीद है।
हालांकि, धोखेबाज जनता को धोखा देने के लिए नए-नए तरीके अपनाते और बनाते रहते हैं। दूरसंचार विभाग इन नए तरीकों की रिपोर्ट होने पर दूरसंचार उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए समय रहते कदम उठा रहा है। तेजी से विकसित हो रही तकनीक के इस दौर में, दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित और संरक्षित बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। हालाँकि, इन मजबूत सुरक्षा उपायों के बावजूद, अभी भी ऐसे मामले हो सकते हैं जहाँ धोखेबाज दूसरे तरीकों से सफल हो जाते हैं। ऐसे मामलों में, दूरसंचार विभाग नागरिकों को संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सक्रिय रूप से रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करता है, ताकि दूरसंचार विभाग को साइबर अपराध, वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग की पहचान करने और रोकथाम में मदद मिल सके। इससे नागरिकों को छद्म पहचान , शोषण से बचाने और संभावित खतरों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई करने में भी मदद मिलेगी।
नागरिक संचार साथी प्लेटफॉर्म (https://sancharsaathi.gov.in/) पर उपलब्ध चक्षु सुविधा पर ऐसी कॉल की रिपोर्ट कर सकते हैं, जिसमें संदिग्ध धोखाधड़ी कॉल, एसएमएस और व्हाट्सएप संदेशों के बारे में स्क्रीनशॉट, प्राप्ति का माध्यम, वांछित धोखाधड़ी की श्रेणी, ऐसे संदेश प्राप्त करने की तिथि और समय सहित विवरण प्रदान करना होता है। रिपोर्ट का एक ओटीपी आधारित सत्यापन किया जाएगा। चक्षु सुविधा नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुविधा संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया प्रदान करके, संभावित धोखाधड़ी का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम में मदद करती है, जिससे उपयोगकर्ताओं को वित्तीय और व्यक्तिगत नुकसान से बचाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं: दूरसंचार विभाग (DOT) ने साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रणालियां विकसित करने के उद्देश्य से डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (डीआईयू) परियोजना शुरू की है। संचार साथी पोर्टल रू दूरसंचार विभाग ने नागरिक केंद्रित संचार साथी पोर्टल (www.sancharsaathi.gov.in) विकसित किया है, जो दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग से संबंधित मामलों की रिपोर्टिंग के लिए विभिन्न सुविधाएं प्रदान करता है, जो निम्नानुसार हैं:
क. संदिग्ध धोखाधड़ी संचार और अवांछित वाणिज्यिक संचार (यूसीसी) की रिपोर्ट करना।
ख. अपने नाम पर जारी मोबाइल कनेक्शनों के बारे में जानना तथा उन मोबाइल कनेक्शनों को काटने के लिए रिपोर्ट करना जिनकी या तो आवश्यकता नहीं है या जो उन्होंने नहीं लिए हैं।
ग. चोरी हुए/ गुम हुए मोबाइल हैंडसेट की सूचना ब्लॉकिंग और ट्रेसिंग के लिए देना।
घ. नया/ पुराना उपकरण खरीदते समय मोबाइल हैंडसेट की वास्तविकता की जांच करना।
ई. भारतीय टेलीफोन नंबर से प्राप्त होने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉलों को कॉलिंग लाइन पहचान के रूप में रिपोर्ट करना।
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