– क्योंकि सास कभी मां नहीं बन सकती
वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 18 जनवरी। वैसे तो सास भी एक मां ही होती है, लेकिन अपनी बहू के लिए कभी मां बनकर नहीं रह सकती। सास को मां मत समझो और ना ही उनसे मां जैसी कोई उम्मीद रखो।
क्योंकि…..
जब तुम लड़खड़ाकर गिरोगी तो मां दौड़ती चली आयेगी, तुम्हें उठाने के लिए लेकिन सास कभी तुम्हें उठाने नहीं आयेगी, वह ख़ुद तुम्हें उठना सिखायेगी।
जब तुम पर या परिवार पर कोई मुसीबत आती है, तो मां हमेशा आगे ढाल बनकर खड़ी रहती है, लेकिन सास तुम्हें आगे खड़ा करके ढाल बनकर लड़ना सिखायेगी ।
तुम सुबह देर तक सोती रहो, मां तुम्हें कभी कुछ नहीं कहेगी, लेकिन सास कभी तुम्हें सोने नहीं देगी, वह तुम्हें वक्त पर जागना और सतर्क रहना सिखायेगी ।
तुम कितनी भी देर रात तक दोस्तों से बातें करो, पूरे दिन फ़ोन पर लगी रहो, मां तुम्हें कभी नहीं रोकेगी, लेकिन तुम्हारी सास तुम्हें हमेशा रोकती रहेगी, ताकि तुम एक ज़िम्मेदार इंसान बनो और वक्त की कद्र करना सीखो ।
सबसे मुश्किल काम होता है परिवार को सम्भालना और उसे जोड़े रखना, इस काम के लिए सास से अच्छी टीचर कोई हो नहीं सकती, जो तुम्हें एक ज़िम्मेदार इंसान बनाती है और अक्सर ख़ुद बुरी बनकर अपनी बहू के लिए भला ही सोचती है ।
जिसने अपनी उम्र के कई साल लगा दिए उस परिवार को जोड़े रखने के लिए, वह मां एक सास बनकर जब उस परिवार की ज़िम्मेदारी अपनी बहू को सौंपेगी तो पहले वह उस बहू को उसके लायक बनायेगी ही ।
हर सास अलग होती है, हर किसी का तरीका अलग होता है, लेकिन इरादा और नीयत हमेशा नेक होती है, और अपने परिवार के लिए समर्पित होती है । वह तो सास को बुरा दिखाकर टीवी सीरियल वालों ने सास के लिए नफ़रत भर दी है, वर्ना पहले बहुएं सास के बारे में इतना भी बुरा नहीं सोचती थीं ।
जो बहू सास के साथ निभा नहीं सकती, सास को छोड़ अलग रहती है, वो नहीं समझ पाती कि एक बिना डोर की पतंग को अक्सर हवा के साथ जहां चाहे वहां उड़ना होता है, और एक दिन ज़मीन पर आकर गिरना होता है। अगर जीवन में ऊंचाई को छूना है, तो हमेशा अपनी डोर से बंधे रहो, जो तुम्हें खींचेगी, मनचाही जगह तो नहीं उड़ने देगी, लेकिन तुम्हें गिरने भी नहीं देगी ।
एक दिन चली जाती है वह सास सबकी बुराई लेकर और अपनी बहू को अगली सास बनने के काबिल बना कर ।
लेखिका : रेशु राज सोनी