वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 18 मार्च। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने बिजली कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल को प्रदेश सरकार की हठधर्मिता का परिणाम करार देते हुए कहा कि जब 3 दिसम्बर 2022 को बिजली कर्मचारियों के प्रतिनिधि मण्डल और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री के बीच कुछ मुद्दों पर समझौता हुआ था तो फिर सरकार ने वह समझौता लागू करने से अपने कदम क्यों पीछे कर लिये हैं? उन्होंने कहा कि यह ऊर्जा मंत्री की अयोग्यता एवं अज्ञानता साबित करता है। समझौता लागू करने के लिए ऊर्जा मंत्री ने 15 दिन का समय मांगा था परन्तु लगभग 3 महीने बीत गये हैं यही कारण है कि बिजली कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं और ऊर्जा मंत्री तथा प्रदेश सरकार उनको रासुका जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे रही है। जो सर्वथा निंदनीय है।
श्री राय ने कहा कि प्रदेश सरकार बिजली विभाग को भी उद्योगपतियों के हाथों में देना चाहती है जो न तो समाज हित में है और न ही देश हित में है। निजी हाथों में युवाओं के रोजगार के अवसर समाप्त हो जायेंगे और आम जनता को अधिक महंगी बिजली लेनी पड़ेगी जिससे उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण होगा। प्रदेश सरकार परोक्ष रूप से कई विभागों को पूंजीपतियों के हाथ में सौंपना चाहती है जिससे युवाओं का शारीरिक शोषण होगा और उनमें कुण्ठा की भावना व्याप्त होगी।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपनी हठधर्मिता छोड़कर बिजली विभाग को पूंजीपतियों के हाथों में जाने से बचाना चाहिए। बिजली कर्मचारियों की प्रमुख मांग मान लेनी चाहिए ताकि प्रदेश का जनजीवन सामान्य हो सके।
